फैंटेसी गेमिंग प्लेटफॉर्म ड्रीम11 (Dream11) ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के साथ अपनी स्पॉन्सरशिप डील समय से पहले खत्म कर दी है। यह बड़ा फैसला ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 के पास होने के बाद लिया गया, जिसमें रियल-मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया गया है।
BCCI सचिव देवजीत साइकिया ने 25 अगस्त को पुष्टि की कि अब ड्रीम11 और BCCI का रिश्ता खत्म हो गया है। उन्होंने साफ कहा कि बोर्ड भविष्य में भी ऐसी किसी कंपनी के साथ नहीं जुड़ेगा जिसका बिजनेस रियल-मनी गेमिंग से जुड़ा हो।
₹358 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट और उसकी शर्तें
- ड्रीम11 ने 2023 में BCCI के साथ 3 साल का ₹358 करोड़ का करार साइन किया था।
- करार के तहत कंपनी हर घरेलू मैच के लिए BCCI को ₹3 करोड़ और विदेशी मैच के लिए ₹1 करोड़ देती थी।
- यह डील 2026 तक चलनी थी, लेकिन स्पेशल क्लॉज के कारण इसे बिना जुर्माने के तोड़ा जा सकता है।
स्पेशल क्लॉज क्या है?
अगर सरकार का कोई कानून स्पॉन्सर कंपनी के कोर बिजनेस को प्रभावित करता है, तो करार रद्द करने पर जुर्माना नहीं लगेगा। यही वजह है कि ड्रीम11 को कोई पेनल्टी नहीं देनी होगी।
ड्रीम11 की कमाई पर बड़ा असर
- ड्रीम11 की 67% कमाई रियल-मनी गेमिंग सेगमेंट से होती थी।
- इस प्लेटफॉर्म पर यूजर्स पैसा लगाकर अपनी फैंटेसी टीमें बनाते थे और जीतने पर कैश प्राइज जीतते थे।
- अब नए कानून के चलते यह बिजनेस मॉडल गैरकानूनी हो गया है।
CEO हर्ष जैन ने कर्मचारियों को बताया कि रियल-मनी गेमिंग अब कानूनी रूप से संभव नहीं है। इसलिए कंपनी अपने नॉन-रियल मनी गेमिंग वेंचर्स पर फोकस करेगी।
कौन बनेगा टीम इंडिया का नया स्पॉन्सर?
ड्रीम11 के हटने के बाद कई बड़ी कंपनियां स्पॉन्सरशिप रेस में हैं:
- टाटा ग्रुप: पहले से ही IPL का टाइटल स्पॉन्सर।
- रिलायंस जियो: स्पोर्ट्स स्पॉन्सरशिप और प्रसारण अधिकारों में सक्रिय।
- अडाणी ग्रुप: हाल ही में कई खेल परियोजनाओं में निवेश किया है।
ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025: क्या हैं नए नियम?
22 अगस्त को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 कानून बन गया। इसमें चार सख्त प्रावधान हैं:
- रियल-मनी गेम्स पर पूरी तरह रोक – चाहे गेम स्किल-बेस्ड हो या चांस-बेस्ड।
- जुर्माना और सजा –
- रियल-मनी गेम ऑफर करने पर 3 साल जेल और ₹1 करोड़ तक का जुर्माना।
- विज्ञापन चलाने वालों पर 2 साल जेल और ₹50 लाख तक का जुर्माना।
- रेगुलेटरी अथॉरिटी – एक विशेष संस्था तय करेगी कि कौन सा गेम रियल-मनी गेम है।
- ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा – PUBG, Free Fire जैसे नॉन-मनी गेम्स को प्रोत्साहन मिलेगा।
सरकार का पक्ष: क्यों जरूरी था यह कानून?
सरकार के अनुसार, मनी-बेस्ड ऑनलाइन गेमिंग से:
- लोगों को आर्थिक और मानसिक नुकसान हो रहा था।
- कई लोग अपनी बचत गंवा बैठे, यहां तक कि आत्महत्या के मामले सामने आए।
- मनी लॉन्ड्रिंग और नेशनल सिक्योरिटी पर भी खतरा बढ़ा।
IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में बताया कि करीब 45 करोड़ लोग प्रभावित हैं और मिडिल-क्लास परिवारों को लगभग ₹20,000 करोड़ का नुकसान हुआ है। WHO ने भी इसे गेमिंग डिसऑर्डर माना है।
इंडस्ट्री पर असर
- भारत का ऑनलाइन गेमिंग मार्केट अभी ₹32,000 करोड़ का है।
- इसमें से 86% रेवेन्यू रियल-मनी गेमिंग से आता था।
- 2029 तक यह बाजार ₹80,000 करोड़ का होने की उम्मीद थी, लेकिन अब रियल-मनी गेमिंग बैन हो गया है।
- अनुमान है कि इस फैसले से 2 लाख नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं और सरकार को हर साल ₹20,000 करोड़ टैक्स का नुकसान हो सकता है।
ड्रीम11 और BCCI की डील टूटना सिर्फ एक स्पॉन्सरशिप का मामला नहीं है, बल्कि यह भारत की गेमिंग इंडस्ट्री पर नए कानून के गहरे असर को दर्शाता है। जहां BCCI अब नए स्पॉन्सर की तलाश में है, वहीं ड्रीम11 को अपने बिजनेस मॉडल को पूरी तरह बदलना होगा। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि टाटा, रिलायंस या अडाणी में से कौन टीम इंडिया का अगला बड़ा स्पॉन्सर बनता है।





