BY: Yoganand Shrivastva
शिवगंगा (तमिलनाडु)। आधुनिक तकनीक और एआई के युग में जहां दुनिया तरक्की की नई ऊंचाइयां छू रही है, वहीं तमिलनाडु के शिवगंगा ज़िले का नादगुडी गांव आज पानी की गंभीर समस्या के कारण पूरी तरह से वीरान हो चुका है। कभी जहां हजारों परिवार रहते थे, अब वहां सुनसान गलियां और जर्जर घर ही दिखाई देते हैं।
पानी की किल्लत ने बदली तस्वीर
नादगुडी गांव में कभी 5,000 से अधिक लोग रहते थे, लेकिन वर्षों से पीने के पानी की सप्लाई ठप पड़ने से हालात बिगड़ते चले गए। धीरे-धीरे लोगों ने गांव छोड़ना शुरू किया और अब केवल कुछ ही परिवार यहां बचे हैं।
गांव में जब कोई जाता है तो टूटी-फूटी हवेलियां और खाली घर तो दिखते हैं, लेकिन दूर-दूर तक इंसान नज़र नहीं आता।
गांववालों की पीड़ा
गांव के निवासी थंगराज ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा:
- “हमारा गांव नादगुडी, शिवगंगा से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर है।
- पानी और मूलभूत सुविधाओं की लगातार कमी से लोग पलायन कर गए।
- हाल ही में दो हत्याओं की घटनाओं ने बचे हुए परिवारों को भी असुरक्षित कर दिया।
- हम जिला कलेक्टर और मुख्यमंत्री से निवेदन करते हैं कि गांव में पानी, सुरक्षा और शिक्षा की व्यवस्था की जाए ताकि लोग वापस लौट सकें।”
प्रशासन से उम्मीदें
ग्रामीणों का कहना है कि केवल पेयजल की उपलब्धता और सुरक्षा व्यवस्था ही उनके गांव को दोबारा बसाने में मदद कर सकती है। लोग चाहते हैं कि सरकार ठोस कदम उठाए, ताकि नादगुडी फिर से आबाद हो सके और वहां जीवन पटरी पर लौटे।
विकास पर सवाल
यह मामला एक बड़े सवाल को जन्म देता है—जब देश विकास और डिजिटल इंडिया की बात कर रहा है, तब कुछ गांव आज भी पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। नादगुडी गांव का उदाहरण साफ दिखाता है कि बुनियादी सुविधाओं के बिना आधुनिकता अधूरी है।