युद्धग्रस्त यूक्रेन में राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के खिलाफ जनता का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा है। राजधानी कीव सहित कई शहरों में हजारों लोगों ने प्रदर्शन करते हुए एक नए कानून को वापस लेने की मांग की है, जिसे वे भ्रष्टाचार विरोधी संस्थाओं की स्वतंत्रता खत्म करने वाला मानते हैं।
यह प्रदर्शन ऐसे समय हुआ है जब यूक्रेन रूस के साथ लंबे युद्ध में उलझा हुआ है और यूरोपीय संघ में शामिल होने की प्रक्रिया में है।
कानून क्या है, और क्यों है विवाद?
यूक्रेन की संसद ने हाल ही में एक विवादित कानून पास किया है जिसके तहत दो प्रमुख संस्थाएं –
- नेशनल एंटी-करप्शन ब्यूरो ऑफ यूक्रेन (NABU)
- स्पेशलाइज्ड एंटी-करप्शन प्रॉसिक्यूटर ऑफिस (SAPO)
अब सीधे यूक्रेन के प्रॉसिक्यूटर जनरल के अधीन होंगी।
इसका सीधा असर इन संस्थाओं की स्वतंत्र जांच करने की क्षमता पर पड़ेगा, जो यूक्रेन की ईयू सदस्यता की प्रक्रिया और पश्चिमी देशों से मिल रही आर्थिक मदद के लिए आवश्यक मानी जाती हैं।
राष्ट्रपति ने कानून पर कर दिए हैं हस्ताक्षर
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इस कानून पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिससे जनता का गुस्सा और भड़क गया। आलोचकों का कहना है कि यह कानून जांच की निष्पक्षता खत्म कर देगा और सरकार के करीबी लोगों को बचाने का रास्ता खोल देगा।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह कदम रूस के ड्रोन हमलों से ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि यह देश के लोकतंत्र और नैतिक मूल्यों पर चोट है।
NABU और SAPO की चिंता
NABU और SAPO ने संयुक्त बयान में कहा:
“अगर यह कानून लागू हुआ तो SAPO का प्रमुख केवल नाममात्र का पद रह जाएगा और NABU, प्रॉसिक्यूटर जनरल के ऑफिस का हिस्सा बन जाएगा।”
यह बयान यह साफ करता है कि यह कानून स्वतंत्र जांच एजेंसियों को सरकारी नियंत्रण में लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यूरोपीय संघ की चेतावनी
ईयू की विस्तार आयुक्त मार्ता कोस ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“यह कानून यूक्रेन को पीछे ले जाने वाला कदम है। NABU और SAPO जैसी स्वतंत्र एजेंसियां EU सदस्यता प्रक्रिया के लिए जरूरी हैं।”
यूरोपीय संघ ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि कानून का शासन EU सदस्यता की मूल शर्तों में से एक है।
सड़कों पर गूंजे विरोध के नारे
प्रदर्शन के दौरान लोगों ने जेलेंस्की के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कई नागरिकों का मानना है कि सरकार भ्रष्टाचार से लड़ने के बजाय अपने करीबी लोगों को संरक्षण दे रही है।
ब्लॉगर और एक्टिविस्ट इहोर लाचेनकोव ने लोगों से प्रदर्शन में शामिल होने की अपील करते हुए कहा:
“अगर हमारे सीमित संसाधनों का दुरुपयोग होगा, तो युद्ध में जीत की उम्मीद खत्म हो जाएगी।”
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल और पूर्व सैनिकों की नाराज़गी
यूक्रेन की ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल शाखा ने इस कानून की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि अगर राष्ट्रपति इसे वीटो नहीं करते, तो वे भी संसद के साथ भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के दोषी माने जाएंगे।
प्रदर्शन में शामिल पूर्व सैनिक ओलेह सिमोरोज, जो व्हीलचेयर पर हैं, ने कहा:
“राष्ट्रपति अपनी ताकत का इस्तेमाल अपने करीबियों को बचाने के लिए कर रहे हैं, भले ही यह यूक्रेन के संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ हो।”
जेलेंस्की की चुप्पी और सत्ता में फेरबदल
राष्ट्रपति कार्यालय ने इस मुद्दे पर अब तक कोई बयान नहीं दिया है। हाल ही में जेलेंस्की ने अपने युद्धकालीन मंत्रिमंडल में फेरबदल किया है, जिसे उनके करीबी लोगों को मजबूत करने की कोशिश माना जा रहा है।
इसके साथ ही यूक्रेन की सुरक्षा एजेंसी ने NABU के दो अधिकारियों को रूस से संबंधों के आरोप में हिरासत में लिया, जिससे यह मुद्दा और भी संवेदनशील बन गया है।
यूक्रेन की लोकतांत्रिक साख पर सवाल
यह प्रदर्शन सिर्फ एक कानून के खिलाफ नहीं है, बल्कि यूक्रेन की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और यूरोपीय एकीकरण की दिशा में उठे खतरे के खिलाफ जनता की आवाज है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ इतनी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरना यह साबित करता है कि यूक्रेनी जनता लोकतंत्र और पारदर्शिता के मुद्दे पर समझौता करने को तैयार नहीं है – चाहे वह युद्ध के हालात ही क्यों न हों।