हजारीबाग।
भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपराओं को संजोने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से संस्कार भारती हजारीबाग द्वारा अन्नदा कॉलेज परिसर में मेहंदी और रंगोली प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया गया। खास बात यह रही कि इस आयोजन में मुस्लिम समुदाय की महिलाओं और बच्चियों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत हुआ।
कला के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का संचार
संस्कार भारती की स्थापना का उद्देश्य ललित कलाओं के क्षेत्र में राष्ट्रीय चेतना जागृत करना रहा है। यही उद्देश्य हजारीबाग के इस आयोजन में भी स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। रंगोली और मेहंदी प्रतियोगिता के जरिए न सिर्फ प्रतिभागियों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया, बल्कि भारतीय संस्कृति से जुड़ाव को भी महसूस किया। स्कूल की छात्राओं से लेकर वयस्क महिलाओं तक ने इस प्रतियोगिता में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
बदलते दौर में सांस्कृतिक आयोजनों की अहमियत
प्रतिभागियों ने बताया कि इस प्रकार के पारंपरिक आयोजनों की संख्या अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है। ऐसे में संस्कार भारती का यह प्रयास सराहनीय है। इस तरह के आयोजनों से न सिर्फ कलाकारों को मंच मिलता है बल्कि समाज में सांस्कृतिक चेतना और एकता की भावना भी प्रबल होती है।
सावन के महीने में सांस्कृतिक उत्सव
सावन के पवित्र महीने में इस आयोजन से प्रतिभागियों में विशेष उत्साह देखने को मिला। मेहंदी और रंगोली जैसे पारंपरिक कला रूपों के जरिए महिलाओं और युवतियों ने अपनी भावनाओं और रचनात्मकता को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। सभी ने एक स्वर में यह मांग की कि ऐसे आयोजन नियमित रूप से होते रहने चाहिए।
मुस्लिम समुदाय की भागीदारी से बढ़ी आयोजन की गरिमा
इस बार प्रतियोगिता में मुस्लिम समुदाय की महिलाओं और बच्चियों की सक्रिय भागीदारी ने कार्यक्रम की गरिमा और बढ़ा दी। आयोजकों का कहना है कि यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि कला किसी धर्म या जाति की मोहताज नहीं होती। कला एक ऐसा माध्यम है, जो समाज को जोड़ता है और राष्ट्रीय भावना को मजबूत करता है।