संसद का मानसून सत्र सोमवार, 21 जुलाई 2025 को भारी हंगामे के साथ शुरू हुआ। पहले ही दिन राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर चर्चा’ पर विपक्ष और सत्तापक्ष आमने-सामने आ गए। नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पहलगाम आतंकी हमले और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सीजफायर दावे को लेकर विस्तृत चर्चा की मांग की।
मल्लिकार्जुन खड़गे का तीखा हमला: ‘ट्रंप ने 24 बार सीजफायर की बात कही, ये अपमान है’
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन में कहा कि उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम आतंकी हमले पर नियम 267 के तहत नोटिस दिया है। उनका आरोप था कि आज तक आतंकियों को न तो पकड़ा गया और न ही मारा गया। खड़गे ने आगे कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 24 बार दावा किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम सिर्फ उनके हस्तक्षेप से संभव हुआ।
“जब देश की सेना बहादुरी से मोर्चा संभाल रही थी, तब ट्रंप जैसे बाहरी व्यक्ति ने सीजफायर का श्रेय लेकर भारत का अपमान किया,” – मल्लिकार्जुन खड़गे।
विपक्ष की मांग: ‘ऑपरेशन सिंदूर में क्या हुआ, सरकार स्पष्ट करे’
खड़गे ने जोर देकर कहा कि सभी दलों ने सरकार को बिना शर्त समर्थन दिया है, फिर भी सरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में हुई कार्रवाई और खुफिया विफलताओं पर चुप्पी साधे हुए है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के उस बयान का हवाला भी दिया, जिसमें खुफिया तंत्र की विफलता की बात मानी गई थी।
जेपी नड्डा का पलटवार: ‘सरकार पूरी तरह चर्चा को तैयार’
सदन में सत्ता पक्ष की ओर से जवाब देते हुए राज्यसभा में नेता सदन और बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा ने कहा,
“यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि सरकार चर्चा से बच रही है। हम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
जेपी नड्डा ने यह भी बताया कि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में समय तय करने का प्रस्ताव रखा गया है ताकि सभी मुद्दों पर खुली चर्चा हो सके।
जेपी नड्डा ने कहा- ऐसा ऑपरेशन भारत में कभी नहीं हुआ
जेपी नड्डा ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को आज़ादी के बाद का सबसे महत्वपूर्ण सैन्य अभियान बताया। उनका कहना था कि केवल आठ दिनों में जिस तरह की सटीक कार्रवाई हुई, वैसी रणनीति पहले कभी नहीं देखी गई। उन्होंने विपक्ष को आश्वस्त किया कि हर बिंदु पर विस्तार से बहस के लिए सरकार तैयार है।
संसद में हंगामे के बीच ‘ऑपरेशन सिंदूर’ बना बड़ा राजनीतिक मुद्दा
‘ऑपरेशन सिंदूर चर्चा’ इस बार के मानसून सत्र का सबसे गर्म मुद्दा बनकर उभरा है। विपक्ष इसे राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशी हस्तक्षेप और लोकतांत्रिक जवाबदेही से जोड़ रहा है, वहीं सत्ता पक्ष इसे सेना की सफलता और सरकार की निर्णायक नीति के रूप में पेश कर रहा है।
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