नया आयकर विधेयक 2025 को लेकर लोकसभा की चयन समिति ने अपनी रिपोर्ट सोमवार को सदन में प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में करदाताओं, निवेशकों और रियल एस्टेट से जुड़े हितधारकों के लिए कई अहम सिफारिशें की गई हैं। यह सुझाव मौजूदा वित्त अधिनियम के अनुरूप नए विधेयक को अपडेट करने के उद्देश्य से दिए गए हैं।
‘कैपिटल एसेट’ की परिभाषा में बदलाव का सुझाव
चयन समिति ने कैपिटल एसेट (Capital Asset) की परिभाषा को वर्तमान वित्त अधिनियम 2025 के अनुरूप बनाए रखने की सिफारिश की है, जिससे विदेशी निवेशकों और फंड्स के लिए बेहतर स्पष्टता सुनिश्चित हो सके। यह बदलाव वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के प्रयासों को बल देगा।
इंफ्रास्ट्रक्चर कैपिटल कंपनी की परिभाषा नए विधेयक में शामिल हो
समिति का मानना है कि ‘इंफ्रास्ट्रक्चर कैपिटल कंपनी’ (Infrastructure Capital Company) जैसे तकनीकी शब्दों को पुराने 1961 अधिनियम के हवाले से न जोड़कर नए विधेयक में स्वतंत्र रूप से परिभाषित किया जाए। इससे कानून की पारदर्शिता और व्याख्या में सुविधा होगी।
हाउस प्रॉपर्टी इनकम पर 30% की स्टैंडर्ड डिडक्शन में स्पष्टता
रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि हाउस प्रॉपर्टी इनकम (House Property Income) पर 30% की जो मानक कटौती मिलती है, उसमें नगर पालिका कर (Municipal Taxes) को पहले घटाया जाना चाहिए। इसके साथ ही, समिति ने सुझाव दिया है कि पूर्व-निर्माण ब्याज कटौती (Pre-construction Interest Deduction) का लाभ किराये पर दी गई संपत्तियों पर भी लागू किया जाए।
नया आयकर विधेयक 2025: निवेशकों और टैक्सपेयर्स को राहत?
इन सिफारिशों से साफ है कि नया आयकर विधेयक 2025 आम करदाताओं के साथ-साथ रियल एस्टेट निवेशकों और विदेशी फंड्स के हित में तैयार किया जा रहा है। इससे न सिर्फ कर प्रशासन पारदर्शी होगा बल्कि करदाताओं को भी नियमों को समझने और अपनाने में आसानी होगी।
निष्कर्ष: क्या बदलेगा आम करदाता के लिए?
इन सुधारों के लागू होने से:
- कर की गणना और छूट के नियम सरल होंगे।
- निवेश और विदेशी पूंजी प्रवाह को बल मिलेगा।
- हाउस प्रॉपर्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी धाराओं में व्यावहारिक बदलाव आएंगे।
यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन सिफारिशों को अंतिम आयकर कानून 2025 में किस हद तक शामिल करती है।