BY: Yoganand Shrivastva
शिमला: हिमाचल प्रदेश में मानसून ने विकराल रूप धारण कर लिया है। बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। राज्य के कई हिस्सों में लैंडस्लाइड और जलभराव के कारण 250 से ज्यादा सड़कों पर आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है। इस बीच भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 21 से 23 जुलाई के बीच भारी से अति भारी वर्षा की चेतावनी देते हुए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है।
सबसे ज्यादा प्रभावित जिले
राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (SEOC) के अनुसार:
- मंडी जिले में सबसे ज्यादा 181 सड़कें बंद हैं।
- सिरमौर में 26 और कुल्लू में 23 सड़कें प्रभावित हैं।
- 61 जलापूर्ति योजनाएं और 81 बिजली ट्रांसफार्मर भी खराब हो चुके हैं।
IMD का अलर्ट: कहां-कहां खतरा ज्यादा?
IMD ने शिमला, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी और सिरमौर जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। वहीं, बाकी इलाकों के लिए येलो अलर्ट दिया गया है।
ऑरेंज अलर्ट का मतलब है: “तैयार रहें, खतरे की संभावना है।”
मौसम विभाग लोगों को चेतावनी दे रहा है कि वे इस दौरान:
- पहाड़ी क्षेत्रों में ट्रैवल से बचें
- नदी-नालों के किनारे न जाएं
- और जरूरी सुरक्षा इंतजाम कर लें
अब तक का नुकसान: आंकड़े डराने वाले
SEOC की रिपोर्ट के मुताबिक:
- 112 लोगों की मौत हो चुकी है
- इनमें से 67 की मौत बारिश और लैंडस्लाइड से जुड़ी घटनाओं में हुई
- जबकि 45 लोगों की जान सड़क हादसों में गई
- 199 लोग घायल, और 35 लापता बताए जा रहे हैं
- कुल मिलाकर राज्य को 1,220 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है
बादल फटना और भूस्खलन बना आफत
- इस मानसून सीजन में 22 बादल फटने, 19 भूस्खलन और 31 फ्लैश फ्लड की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
- गुरुवार शाम को जोगिंदरनगर, सराहन, कोठी, शिलारू, मुरारी देवी और नारकंडा जैसे इलाकों में मध्यम बारिश दर्ज की गई।
क्या करें?
- प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे मौसम विभाग की चेतावनियों को गंभीरता से लें।
- पर्यटकों और स्थानीय लोगों से कहा गया है कि वह ऊंचाई वाले और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से फिलहाल दूर रहें।
हिमाचल में इस बार मानसून सिर्फ बारिश नहीं, बल्कि मुसीबत लेकर आया है। बढ़ते हादसों और भारी नुकसान को देखते हुए राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह सतर्क है, लेकिन आम लोगों की भी जिम्मेदारी है कि वे सतर्क रहें और सुरक्षित स्थानों पर ही रहें।