BY: Yoganand Shrivastava
बरेली: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर जहां देशभर में योग को लेकर उत्साह का माहौल रहा, वहीं बरेली में सूर्य नमस्कार को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने सूर्य नमस्कार को इस्लाम के खिलाफ बताते हुए इसे “हराम” करार दिया। इसके बाद योगी सरकार के सहकारिता राज्यमंत्री जेपीएस राठौर ने उनके बयान पर प्रतिक्रिया दी और इसे “छोटी सोच” बताया।
मौलाना ने सूर्य नमस्कार को बताया इस्लाम विरोधी
बरेली में योग दिवस के मौके पर दरगाह आला हजरत के ग्रैंड मुफ्त हाउस में आयोजित एक योग सत्र में मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा,
“मैं योग का समर्थन करता हूं, लेकिन सूर्य नमस्कार का विरोध करता हूं। क्योंकि यह सूर्य की पूजा का प्रतीक है और इस्लाम में किसी भी चीज़ की पूजा हराम है।”
उन्होंने कहा कि योग को मस्जिदों और मदरसों में भी अपनाया जाना चाहिए क्योंकि यह सेहत के लिए फायदेमंद है, लेकिन सूर्य नमस्कार जैसे आसन इस्लामिक मान्यताओं के विपरीत हैं।
योगी सरकार के मंत्री का पलटवार
इस बयान के बाद योग सत्र में शामिल राज्य मंत्री जेपीएस राठौर ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:
“जिस तरह सूर्य का अस्तित्व एक सच्चाई है, उसी तरह सूर्य नमस्कार भी एक सच्चाई है। जो लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं, वे संकीर्ण मानसिकता के शिकार हैं।”
राठौर ने कहा कि योग को धर्म से जोड़कर देखना सही नहीं है। यह शरीर और मन के संतुलन के लिए एक वैज्ञानिक पद्धति है जिसे सभी को अपनाना चाहिए।
सूर्य नमस्कार क्यों है महत्वपूर्ण?
सूर्य नमस्कार, भारतीय योग परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। इसका शाब्दिक अर्थ है – सूर्य को प्रणाम करना। यह केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक संतुलन का माध्यम है।
शारीरिक लाभ:
- पूरा शरीर सक्रिय होता है – मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- लचीलापन बढ़ाता है – खासकर रीढ़ की हड्डी और जोड़ों में।
- वजन घटाने में सहायक – कैलोरी बर्न करता है।
- पाचन तंत्र में सुधार – गैस, कब्ज जैसी समस्याओं में राहत।
- रक्त संचार बेहतर होता है – शरीर को अधिक ऑक्सीजन मिलती है।
- शरीर डिटॉक्स करता है – विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।
मानसिक लाभ:
- तनाव को कम करता है।
- एकाग्रता को बढ़ाता है।
- दिनभर ऊर्जावान बनाए रखता है।
योग धर्म से ऊपर, स्वास्थ्य का विज्ञान
मौलाना रजवी के बयान ने एक बार फिर योग को धर्म के चश्मे से देखने की बहस छेड़ दी है। हालांकि विशेषज्ञों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वालों का मानना है कि योग एक सार्वभौमिक पद्धति है, जो किसी धर्म या जाति से बंधी नहीं है। सूर्य नमस्कार एक व्यायाम है, न कि पूजा।
जहां एक ओर समाज का बड़ा वर्ग योग को स्वास्थ्य और मानसिक शांति का साधन मानता है, वहीं कुछ वर्ग इसे धार्मिक चश्मे से देखते हैं। हालांकि आज की बदलती जीवनशैली में योग और सूर्य नमस्कार जैसे अभ्यासों की प्रासंगिकता और वैज्ञानिक मान्यता को नकारा नहीं जा सकता।
सरकार और समाज का दायित्व बनता है कि वह योग को एक समग्र स्वास्थ्य प्रणाली के रूप में प्रस्तुत करे, न कि धार्मिक पहचान के रूप में।