BY: Yoganand Shrivastva
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, इजरायली सेना ने ईरान के अराक स्थित भारी जल रिएक्टर पर बमबारी की है। यह रिएक्टर राजधानी तेहरान से लगभग 250 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है और परमाणु ईंधन उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।
ईरान के सरकारी टेलीविजन के अनुसार, हमला गुरुवार सुबह किया गया और इससे पहले सुरक्षा कारणों से रिएक्टर परिसर को खाली करा लिया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि हमले के बाद रेडिएशन के रिसाव का कोई खतरा नहीं है।
क्यों है अराक रिएक्टर अहम?
अराक में स्थित यह भारी जल रिएक्टर प्लूटोनियम का उत्पादन कर सकता है, जिसका उपयोग संभावित रूप से परमाणु हथियारों के निर्माण में किया जा सकता है। यह रिएक्टर न केवल परमाणु ऊर्जा के लिए बल्कि सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत संवेदनशील माना जाता है।
हमले से पहले दी गई थी चेतावनी
सूत्रों के अनुसार, इजरायल ने हमला करने से पहले सार्वजनिक रूप से चेतावनी दी थी और स्थानीय नागरिकों को क्षेत्र खाली करने के लिए कहा गया था। यह कदम संभवतः नागरिक हताहतों से बचने के लिए उठाया गया।
IAEA की प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था – अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) – ने इजरायल से ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना न बनाने की अपील की है। एजेंसी के अनुसार, इसके निरीक्षकों ने 14 मई को अराक रिएक्टर का दौरा किया था।
अब तक की हताहतों की संख्या
ईरान में मानवाधिकार पर नजर रखने वाले एक संगठन ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स के मुताबिक, इजरायली हमलों में अब तक कम से कम 639 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 1,329 से अधिक लोग घायल हुए हैं। मृतकों में 263 आम नागरिक और 154 सुरक्षा बलों के जवान शामिल हैं।
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ता टकराव अब सैन्य कार्रवाई के रूप में सामने आने लगा है। जहां एक ओर इजरायल अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के नाम पर परमाणु केंद्रों को निशाना बना रहा है, वहीं दूसरी ओर वैश्विक संस्थाएं इस स्थिति को कूटनीतिक तरीके से सुलझाने की अपील कर रही हैं।