पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की अपील की है। मुनीर का दावा है कि ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोकने में निर्णायक भूमिका निभाई थी। उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है जब वह वॉशिंगटन डीसी में ट्रंप के साथ लंच पर आमंत्रित थे।
भारत का सख्त जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ट्रंप से हुई बातचीत में साफ कह दिया है कि भारत-पाकिस्तान के मामलों में किसी तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी। भारत हमेशा से द्विपक्षीय वार्ता का समर्थक रहा है और यह रुख एक बार फिर दोहराया गया है।
व्हाइट हाउस लंच से पहले मुनीर का बयान
असीम मुनीर का यह बयान उस समय सामने आया जब वे व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ कैबिनेट रूम में लंच पर मिलने वाले थे। यह मौका इसलिए खास माना जा रहा है क्योंकि किसी सेवारत पाकिस्तानी सेना प्रमुख को अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से आमंत्रण मिलना बेहद दुर्लभ है। इससे पहले आयूब खान, जिया-उल-हक और परवेज मुशर्रफ जैसे नेताओं को ऐसे अवसर मिले थे, लेकिन वे राष्ट्रपति भी थे।
व्हाइट हाउस का पक्ष
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता अन्ना केली ने इस मुलाकात पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि ट्रंप असीम मुनीर का स्वागत इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने भारत-पाक तनाव के दौरान युद्ध को रोकने की दिशा में राष्ट्रपति ट्रंप के प्रयासों की सराहना की है। मुनीर हाल ही में फील्ड मार्शल की पदवी पाने वाले पहले पाकिस्तानी अधिकारी बने हैं, जो 1959 के बाद अब तक का पहला उदाहरण है।
ट्रंप ने फिर दोहराया दावा
प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात करने के कुछ ही घंटे बाद ट्रंप ने दोहराया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रुकवाया है। ट्रंप ने मोदी को ‘शानदार व्यक्ति’ बताया और कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता भी जल्द होगा।
“मैंने युद्ध रुकवाया। मुझे पाकिस्तान पसंद है और मैं मोदी को भी एक बेहतरीन नेता मानता हूं,” – डोनाल्ड ट्रंप
ट्रंप ने मुनीर की तारीफ की
जब पत्रकारों ने ट्रंप से पूछा कि वह पाकिस्तानी आर्मी चीफ से मुलाकात से क्या हासिल करना चाहते हैं, तो ट्रंप ने जवाब दिया,
“इस व्यक्ति (मुनीर) की भूमिका पाकिस्तान की ओर से युद्ध रोकने में बहुत अहम रही। भारत की ओर से मोदी और अन्य नेताओं की भी भूमिका रही। लेकिन मैंने दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच युद्ध को रोका।”
इस पूरी घटना में तीन अहम संदेश हैं:
- पाकिस्तान, ट्रंप की भूमिका को कूटनीतिक सफलता के रूप में पेश कर रहा है।
- भारत अपनी कूटनीतिक नीति पर अडिग है कि किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं।
- डोनाल्ड ट्रंप अपनी मध्यस्थता को बार-बार सामने लाकर अपनी वैश्विक छवि मजबूत करना चाह रहे हैं।