BY: Yoganand Shrivastva
जबलपुर, सिवनी जिले के लखनादौन क्षेत्र की रहने वाली एक महिला के साथ जबलपुर में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। महिला अपने दो साल के बेटे के इलाज के लिए शहर आई थी, लेकिन उसे एक स्थानीय युवक द्वारा अगवा कर सुनसान स्थान पर ले जाया गया और पांच दिन तक बंदी बनाकर शारीरिक शोषण किया गया।
सफेद कार में बैठाकर ले गया आरोपी
पीड़िता, जो भिलमा गांव की निवासी है, 11 जून को अपनी सास और छोटे बेटे के साथ जबलपुर के लिए निकली थी। रास्ते में उन्होंने बरगी डैम के पास रुककर स्नान किया और फिर गौर तिराहा पर बस से उतर गए। उसी दौरान जब महिला पास की दुकान से बेटे के लिए कुरकुरे लेने गई, तो गांव के ही रहने वाले विश्वनाथ उर्फ विष्णु लोधी अपने साथी विक्की के साथ सफेद कार में पहुंचा।
विश्वनाथ ने महिला से कहा कि वह जबलपुर जा रहा है और उसे छोड़ देगा। पहले तो महिला ने मना किया, लेकिन फिर उसके यह कहने पर कि वह उसकी सास को भी ले आएगा, महिला कार में बैठ गई।
खंडहर में ले जाकर किया दुष्कर्म, फिर गांव में रखा बंधक
महिला के अनुसार, आरोपी ने कार को सीधे बरगी और बंदरकोला की ओर मोड़ दिया। रास्ते में विक्की को उतारने के बाद वह उसे एक सुनसान मकान में ले गया और जबरदस्ती की। इसके बाद आरोपी उसे अपने गांव महगांव ले गया, जहां उसने पांच दिन तक महिला को एक कमरे में बंद करके लगातार दुष्कर्म किया।
किसी तरह भागकर घर पहुंची पीड़िता
घटना के पांच दिन बाद, मंगलवार की सुबह महिला किसी तरह आरोपी के चंगुल से भाग निकली और अपने गांव पहुंची। वहां उसने अपने ससुराल वालों को पूरी घटना की जानकारी दी।
पहले दर्ज हुई थी गुमशुदगी की रिपोर्ट
महिला के लापता होने के बाद उसकी सास ने गौर पुलिस चौकी में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने बताया कि बहू और पोते के अचानक गायब हो जाने के बाद उन्होंने उन्हें बहुत ढूंढा, लेकिन कोई पता नहीं चला।
पुलिस ने शुरू की कार्रवाई, आरोपी फरार
महिला थाना पुलिस ने पीड़िता की शिकायत पर अपहरण, बलात्कार और बंधक बनाने जैसे गंभीर आरोपों में मामला दर्ज कर लिया है। आरोपी विश्वनाथ और उसके साथी विक्की की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं।
एएसपी सूर्यकांत शर्मा ने बताया कि महिला की शिकायत को प्राथमिकता पर लिया गया है और दोनों आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
यह मामला न केवल महिला सुरक्षा पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों से इलाज के लिए आने वाली महिलाओं की असुरक्षा को भी उजागर करता है। प्रशासन को इस दिशा में न केवल त्वरित कार्रवाई करनी होगी, बल्कि ऐसे संवेदनशील स्थानों पर सतर्कता भी बढ़ानी चाहिए।