BY: Yoganand Shrivastva
भारत के अहमदाबाद में बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान का दुर्घटनाग्रस्त होना अब केवल एक हादसा नहीं रह गया है। यह घटना अब राष्ट्र की सुरक्षा, विदेशी तकनीकी कंपनियों की भूमिका और न्यायपालिका के फैसलों पर सवाल उठाने लगी है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह महज तकनीकी खामी नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश भी हो सकती है।
हादसा या सुनियोजित हमला?
- बोइंग 787 ड्रीमलाइनर को दुनिया के सबसे सुरक्षित विमानों में गिना जाता है। ऐसे में दोनों इंजन का एक साथ फेल हो जाना संदेह को जन्म देता है। तकनीकी जानकारों का मानना है कि इस तरह की विफलता बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के असंभव सी लगती है।
- विमान की मेंटेनेंस CELIBI AVIATION नामक तुर्की कंपनी द्वारा की जाती थी, जिस पर पूर्व में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े होने के आरोप लग चुके हैं।
- ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत सरकार ने सुरक्षा चिंताओं के चलते इस कंपनी का अनुबंध रद्द कर दिया था। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह कंपनी दोबारा भारत में मेंटेनेंस कार्य करने लगी।
- दुर्घटना PM मोदी की G7 यात्रा से ठीक पहले हुई — और इससे कुछ ही दिन पहले एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन ने भारत को “सिंदूर का अंजाम भुगतने” की धमकी दी थी।
कई अहम सवाल जो उठाए जाने जरूरी हैं:
- क्या यह दुर्घटना एक सोची-समझी आतंकी साजिश का हिस्सा थी?
- क्या सुप्रीम कोर्ट का फैसला, देश की सुरक्षा से बड़ा हो सकता है?
- क्या भारत में कार्यरत विदेशी कंपनियों की जांच अब नए सिरे से होनी चाहिए?
- क्या CELIBI AVIATION और पाकिस्तानी नेटवर्क के बीच कोई मजबूत गठजोड़ है?
- क्या सुरक्षा एजेंसियों को इस संबंध में पहले से कोई इनपुट था, जिसे नजरअंदाज किया गया?
अब ज़रूरत है:
- उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की जो तकनीकी, विधिक और खुफिया पहलुओं को समग्रता से देखे।
- संसद में विशेष सत्र बुलाकर इस मुद्दे पर बहस की जाए।
- विदेशी मेंटेनेंस कंपनियों की नीतियों और उनकी पृष्ठभूमि की व्यापक समीक्षा हो।
- सुरक्षा एजेंसियों को अधिक स्वतंत्रता और संसाधन दिए जाएं ताकि ऐसे मामलों पर तुरंत और निर्णायक कार्यवाही हो सके।