भारत की AI प्रगति पर सवाल
नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) सांसद राघव चड्ढा ने मंगलवार को राज्यसभा में भारत की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में प्रगति को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जहां अमेरिका ने चैटजीपीटी, जेमिनी और ग्रोक जैसे AI मॉडल विकसित किए हैं और चीन ने डीपसीक लॉन्च किया है, वहीं भारत की स्थिति स्पष्ट नहीं है।
उन्होंने संसद में पूछा, “अमेरिका के पास चैटजीपीटी, चीन के पास डीपसीक है, लेकिन भारत इस क्षेत्र में कहां खड़ा है?”
AI में भारत की हिस्सेदारी नगण्य
राघव चड्ढा ने 2010 से 2022 तक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि वैश्विक AI पेटेंट्स में अमेरिका की हिस्सेदारी 60% और चीन की 20% है, जबकि भारत सिर्फ 0.5% हिस्सेदारी रखता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन को AI में बढ़त इसलिए मिली क्योंकि उन्होंने इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश किया है।

उन्होंने यह भी बताया कि दुनियाभर के AI सेक्टर में 15% भारतीय पेशेवर काम कर रहे हैं, लेकिन उनमें से 4.5 लाख विदेशों में कार्यरत हैं। इससे साफ है कि भारत में टैलेंट है, लेकिन हम सिर्फ AI उपभोक्ता बनकर रह गए हैं, निर्माता नहीं।
AI में निवेश बढ़ाने की जरूरत
चड्ढा ने कहा कि भारत में 90 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट यूजर्स हैं, फिर भी देश AI के मामले में आत्मनिर्भर नहीं बन पाया है। उन्होंने OpenAI के संस्थापक सैम ऑल्टमैन के उस बयान का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने भारत की AI क्षमता को ‘निराशाजनक’ बताया था।
चड्ढा ने सरकार से अपील की कि भारत को AI उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना होगा और इसे बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाने होंगे।
भारत को AI निर्माता बनाने के उपाय
उन्होंने भारत को AI में मजबूत करने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए:
- स्वदेशी AI चिप्स का निर्माण
- AI इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की स्थापना
- रिसर्च और विकास के लिए अनुदान
- AI टैलेंट के पलायन को रोकने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं
- कर लाभ (टैक्स इंसेंटिव) देना
AI में भारत की कम निवेश दर
चड्ढा ने बताया कि अमेरिका अपने GDP का 3.5% AI रिसर्च पर खर्च करता है, चीन 2.5% खर्च करता है, जबकि भारत सिर्फ 0.7% ही खर्च करता है।
उन्होंने कहा, “भविष्य में वही देश विश्व का नेतृत्व करेगा जो AI में आगे रहेगा। इसलिए ‘मेक इन इंडिया’ के साथ-साथ ‘मेक AI इन इंडिया’ पर भी ध्यान देने की जरूरत है।”
पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस में AI शिखर सम्मेलन में कहा था कि AI स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में मदद कर सकता है। लेकिन राघव चड्ढा के अनुसार, भारत को AI का सिर्फ उपयोगकर्ता नहीं, बल्कि इसका निर्माता बनना चाहिए।