BY: Yoganand Shrivastva
भारत जल्द ही स्वदेशी तकनीक से मोबाइल चिप का निर्माण शुरू कर सकता है। सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना से सेमीकंडक्टर बाजार में चीन के वर्चस्व को चुनौती दी जा सकती है।
भारत का स्मार्टफोन बाजार तेजी से बढ़ रहा है
देश में स्मार्टफोन की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार बन चुका है। तेजी से बढ़ती मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के कारण अब भारत के पास मौका है कि वह इस क्षेत्र में चीन को पीछे छोड़ सके।
सरकार ने स्वदेशी चिप निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सेमीकंडक्टर उत्पादन इकाइयों को स्थापित करने की योजना बनाई है। अभी तक सेमीकंडक्टर बाजार में अमेरिका और चीन का दबदबा रहा है, लेकिन भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है।
स्मार्टफोन बाजार को मिलेगा बढ़ावा
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) और दूरसंचार विभाग (DoT) ने एक विस्तृत योजना तैयार की है, जिससे भारत का स्मार्टफोन उद्योग और अधिक मजबूत होगा। सरकार ने इसे आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत पूरा करने का निर्णय लिया है, जिससे स्वदेशी मोबाइल चिप निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
MeitY के सचिव एस. कृष्णन के अनुसार, जब भारत में मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम विकसित करने की बात हो रही है, तो स्वदेशी चिपसेट इसकी रीढ़ साबित होंगे। इसके लिए सरकार इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन और डिजाइन-लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के तहत काम कर रही है।
बजट में 83% की बढ़ोतरी
सरकार ने इस साल के बजट में सेमीकंडक्टर मिशन के लिए 83% की वृद्धि की है। इस योजना के लिए 7,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। इसके अलावा, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम का बजट भी 55% बढ़ाकर 9,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
हालांकि, चीन अभी भी इस क्षेत्र में बड़ी ताकत बना हुआ है। वहां का सेमीकंडक्टर बजट लगभग 47 बिलियन डॉलर (करीब 4 लाख करोड़ रुपये) है। लेकिन भारत तेजी से इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हो रहा है।
AI और सेमीकंडक्टर का भविष्य
भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के विकास में भी सेमीकंडक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। सरकार का मानना है कि स्वदेशी चिप निर्माण से AI-आधारित एप्लिकेशन को बढ़ावा मिलेगा और भविष्य में बड़े पैमाने पर AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
सरकार की इस योजना से भारत जल्द ही सेमीकंडक्टर बाजार में चीन को चुनौती दे सकता है। स्वदेशी चिपसेट निर्माण से न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता मिलेगी, बल्कि स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को भी नए आयाम मिलेंगे।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस मिशन को कितनी जल्दी सफल बना पाता है और क्या हम सेमीकंडक्टर बाजार में चीन को पीछे छोड़ पाएंगे?
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