Bangladsh Protest: बांग्लादेश में हालात एक बार फिर बेकाबू होते दिख रहे हैं। शेख हसीना विरोधी आंदोलन के प्रमुख नेता और इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। राजधानी ढाका में सड़कों पर भारी भीड़ उतर आई है। आगजनी, पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आ रही हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने तुरंत हाई लेवल बैठक बुलाई है।
Bangladsh Protest: मीडिया संस्थान बने भीड़ का निशाना
हिंसा का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि प्रदर्शनकारियों ने मीडिया को सीधे निशाने पर लिया। ढाका में देश के दो बड़े अखबारों डेली स्टार और प्रोथोम आलो के दफ्तरों में आग लगा दी गई। प्रोथोम आलो के कार्यालय से उठते धुएं के बाद फायर ब्रिगेड को मौके पर बुलाना पड़ा। मीडिया दफ्तरों पर हमले ने बांग्लादेश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

#WATCH | Bangladesh: Visuals of the aftermath from Prothom Alo office in Dhaka, which was burned down by protesters. Firefighters are present at the spot.
— ANI (@ANI) December 19, 2025
After the death of Osman Hadi, a key leader in the protests against Sheikh Hasina, Bangladesh has erupted in unrest, and… pic.twitter.com/SbH0kiLglE
Bangladsh Protest: चट्टोग्राम में भारतीय ठिकाने के पास हमला
हिंसा सिर्फ ढाका तक सीमित नहीं रही। पोर्ट सिटी चट्टोग्राम में भारतीय असिस्टेंट हाई कमीशन के आवास के पास हमला और तोड़फोड़ की घटना सामने आई है। उपद्रवियों ने पत्थरबाजी की और आगजनी की कोशिश की, जिससे वहां रहने वाले भारतीय अधिकारियों और उनके परिवारों में दहशत फैल गई। स्थिति को संभालने के लिए चट्टोग्राम मेट्रोपॉलिटन पुलिस कमिश्नर खुद मौके पर पहुंचे और सुरक्षा बढ़ाने का आश्वासन दिया।

सरकार का सख्त रुख, आवामी लीग पर कार्रवाई के आदेश
इस बीच अंतरिम सरकार के गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी के बयान ने राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया है। उन्होंने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि आवामी लीग के सदस्यों को देखते ही गिरफ्तार किया जाए, चाहे उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज हो या नहीं। इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया है।

कौन है उस्मान हादी
शरीफ उस्मान हादी बांग्लादेश के चर्चित छात्र आंदोलन के नेता रहे हैं। उन्होंने ही पिछले साल तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंका था। छात्र आंदोलनों के दबाव में शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी और देश छोड़ना पड़ा। हादी कट्टरपंथी संगठन माने जाने वाले इंकलाब मंच के प्रमुख नेताओं में शामिल थे, जो अवामी लीग के खिलाफ सबसे आक्रामक भूमिका में रहा है।
गोली लगने से लेकर सिंगापुर में मौत तक
हादी को 12 दिसंबर को ढाका के पल्टन इलाके में कल्वरट रोड पर उस वक्त गोली मारी गई थी, जब वे बैटरी से चलने वाले ऑटो-रिक्शा में यात्रा कर रहे थे। गंभीर हालत में उन्हें पहले ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया और फिर 15 दिसंबर को सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जिकल आईसीयू में एयरलिफ्ट किया गया। इलाज के दौरान 19 दिसंबर को उनकी मौत हो गई।
चुनाव से पहले देश फिर अशांत
हादी फरवरी में होने वाले आम चुनावों में ढाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार थे और सक्रिय रूप से चुनाव प्रचार कर रहे थे। उनकी मौत ने चुनाव से पहले ही बांग्लादेश को एक बार फिर हिंसा और अस्थिरता की आग में झोंक दिया है। कई इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात है और हालात पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
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बांग्लादेश इस वक्त एक नाजुक मोड़ पर खड़ा है, जहां एक नेता की मौत ने पूरे देश को हिंसा की चपेट में डाल दिया है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार हालात पर काबू पा पाएगी या यह हिंसा आने वाले दिनों में और विकराल रूप लेगी।





