BY: Yoganand Shrivastva
भोपाल : एक अदालत ने गुरुवार को फर्जी नाम बताकर महिला के साथ दुष्कर्म करने वाले मोहम्मद अकरम को 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। आरोपी ने खुद को हिंदू युवक अमर कुशवाहा बताकर महिला को धोखे में रखा, तिलक लगी फोटो भेजकर विश्वास जीता और बाद में दुष्कर्म कर असली पहचान बताते हुए धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया। मामले की सुनवाई में शासन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक प्रीति श्रीवास्तव ने पैरवी की।
कैसे शुरू हुआ मामला
यह मामला एमपी नगर थाना क्षेत्र का है। घटना 16 अक्टूबर 2022 की है। पीड़िता सिलाई का काम करती है और अपने घर में पुताई करवाने के लिए पेंटर तलाश रही थी। इसी दौरान उसने गलती से अकरम के मोबाइल नंबर पर कॉल कर दी। इसके बाद आरोपी ने उसका नंबर सेव कर लिया और लगातार वॉट्सऐप पर बात करना शुरू कर दी।
अकरम ने खुद को पेंटर बताकर तिलक लगी तस्वीर भेजी और कहा कि उसका नाम अमर कुशवाहा है। उसने मिलने के लिए मिलन रेस्टोरेंट बुलाया, जहां उसने गलत हरकत करने की कोशिश की। विरोध के बाद वह चला गया, लेकिन अगले ही दिन नौकरी दिलाने का बहाना बनाकर उसे बोर्ड ऑफिस बुलाया और फिर बहाने से कान्हा होटल ले गया।
होटल में दुष्कर्म और फिर असली पहचान
होटल के कमरे में आरोपी ने पीड़िता को अंदर बैठाकर कहा कि उसका बॉस आने वाला है। थोड़ी देर बाद कमरे को बंद कर उसके साथ दुष्कर्म किया। उसके बाद उसने अपनी असली पहचान बताते हुए कहा कि वह मोहम्मद अकरम है और उसने शुरुआत से ही योजना बनाकर उसे फंसाया था। उसने महिला से कहा कि वह उसे अपनी “बेगम” बनाना चाहता है और धर्म परिवर्तन करना पड़ेगा। विरोध करने पर उसने बच्चों को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी।
कोर्ट ने माना—सोची-समझी साजिश
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में साबित किया कि आरोपी ने शुरुआत से ही महिला को झांसा देकर अपराध की योजना बनाई थी। इसी आधार पर विशेष न्यायाधीश ने अकरम को 10 साल के कठोर कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई।इस फैसले को महिला की न्यायिक जीत और फर्जी पहचान के नाम पर किए जाने वाले अपराधों के खिलाफ एक कड़ा संदेश माना जा रहा है।





