रिपोर्ट- वैभव चौधरी,
धमतरी: जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की शुरुआत तो हो गई, लेकिन पहले ही दिन खरीदी केंद्रों में भारी अव्यवस्था देखने को मिली। सहकारी समिति के कर्मचारियों की हड़ताल के कारण कई केंद्रों पर अधिकारी-कर्मचारी मौजूद नहीं थे, जिसके चलते धान लेकर पहुंचे किसानों को वापस लौटना पड़ा। इससे किसानों में नाराजगी बढ़ गई और कई जगह विरोध भी शुरू हो गया।
धमतरी शहर से लगे शंकरदाह धान खरीदी केंद्र में स्थिति खास तौर पर तनावपूर्ण रही। यहां किसान और कांग्रेसी धरने पर बैठ गए और शासन-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। सूचना मिलने पर प्रशासन और पुलिस मौके पर पहुंची, जिसके बाद लगभग 5 घंटे की देरी से खरीदी शुरू हो पाई।

किसानों की परेशानी: सुबह से इंतजार, टोकन होने के बाद भी खरीदी नहीं
किसानों ने बताया कि उनका टोकन निर्धारित समय पर कट चुका था और वे सुबह से ही धान लेकर खरीदी केंद्र पहुंच गए थे। लेकिन केंद्र में कोई भी अधिकारी या कर्मचारी मौजूद नहीं था, जिससे उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ा।
आक्रोशित किसानों का कहना था कि जब तक व्यवस्था दुरुस्त नहीं होगी, तब तक वे बार-बार ऐसी समस्याओं से जूझते रहेंगे।
धरना-प्रदर्शन के बाद शुरू हुई खरीदी
विरोध प्रदर्शन बढ़ने पर प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर कर्मचारियों से चर्चा की और व्यवस्था दुरुस्त करवाई। इसके बाद ही केंद्र में धान खरीदी की प्रक्रिया शुरू हो सकी। शंकरदाह केंद्र पर खरीदी की शुरुआत लगभग दोपहर बाद हुई, जिससे किसान परेशान और नाराज दिखे।

जिले में तैयारी का दावा, लेकिन जमीनी हकीकत में खामियां
जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए 100 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं। धमतरी में 1 लाख 22 हजार 800 किसानों का पंजीयन किया गया है। प्रशासन ने दावा किया था कि धान खरीदी को सुचारू रूप से चलाने के लिए 100 नोडल अधिकारी और समिति स्तर पर निगरानी समितियां गठित की गई हैं। लेकिन पहले ही दिन कई केंद्रों पर स्टाफ की अनुपस्थिति ने तैयारी की पोल खोल दी।
कांग्रे सनेता गौतम वाधवानी ने कहा कि “किसान सुबह से धान लेकर खड़े हैं, लेकिन केंद्र में कोई कर्मचारी मौजूद नहीं। यह सरकार की बड़ी नाकामी है। विरोध के बाद ही खरीदी शुरू हो रही है, जो किसानों के साथ अन्याय है।”
खरीदी केंद्र पहुंचे किसान ने कहा कि “हमारा टोकन कटा था, फिर भी घंटों इंतजार करना पड़ा। कोई कर्मचारी नहीं था। विरोध के बाद ही खरीदी शुरू हुई। हर साल यही समस्या होती है।”





