by: vijay nandan
देवास: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को देवास में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में प्रदेश के 1.33 लाख सोयाबीन उत्पादक किसानों के खातों में ₹233 करोड़ की राशि का सिंगल क्लिक से अंतरण किया। यह राशि भावान्तर योजना के तहत किसानों को दी गई है, जो उनकी मेहनत, परिश्रम और पसीने का सम्मान है। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि “हर किसान को उसकी उपज का उचित मूल्य मिले और कृषि क्षेत्र में मध्यप्रदेश नित नए कीर्तिमान स्थापित करता रहे, इसके लिए सरकार संकल्पित है।
"भावान्तर भुगतान, अन्नदाता का उत्थान"
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) November 13, 2025
किसानों की मेहनत को मिली सही कीमत…
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज देवास में आयोजित कार्यक्रम में सहभागिता कर "भावान्तर योजना" के तहत प्रदेश के 1.33 लाख सोयाबीन उत्पादक किसानों के खातों में ₹233 करोड़ की राशि का सिंगल क्लिक से अंतरण… pic.twitter.com/CNQxYAtqh1
देवास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि “सीमा पर देश की रक्षा करने वाले जवान और खेत में अन्न उपजाने वाले किसान, दोनों हमारे लिए सम्मान और गर्व के प्रतीक हैं। उन्होंने बताया कि जिस तरह सोमवार को ‘लाड़ली बहना योजना’ के तहत प्रत्येक बहन के खाते में ₹1500 की राशि जमा की गई, उसी तरह मंगलवार को किसानों के हित में ₹233 करोड़ की राशि भावांतर योजना के तहत दी गई है। मुख्यमंत्री ने भावांतर योजना के पात्र किसानों को हितलाभ प्रमाण पत्र भी वितरित किए।
सीमा पर देश की रक्षा करने वाले जवान और खेत में अन्न उपजाने वाले किसान, दोनों हमारे लिए सम्मान और गर्व के प्रतीक हैं : CM@DrMohanYadav51 @minmpkrishi#MadhyaPradesh #समृद्ध_किसान_समृद्ध_एमपी pic.twitter.com/2nRBxEIhCd
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) November 13, 2025
जिले को विकास कार्यों की सौगात भी मिली
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर ₹183.25 करोड़ की लागत वाले विभिन्न विकास कार्यों का भूमिपूजन भी किया और क्षेत्रवासियों को शुभकामनाएं दीं। इस दौरान कृषि मंत्री श्री ऐदल सिंह कंसाना सहित कई जनप्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
सरकार का लक्ष्य: आत्मनिर्भर और मुस्कुराता किसान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार किसानों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि “मुस्कुराता किसान ही मध्यप्रदेश की पहचान है। किसानों को उचित मूल्य और सम्मान दिलाने की दिशा में भावांतर योजना अन्नदाताओं की समृद्धि और सम्मान का प्रतीक है।” सरकार प्राकृतिक खेती, गौपालन और कृषि-आधारित नवाचारों को बढ़ावा देकर किसानों की आय बढ़ाने के नए अवसर बना रही है।
कृषि क्षेत्र में नया अध्याय
भावांतर योजना में किसानों की भागीदारी तेजी से बढ़ी है, पंजीकृत किसानों की संख्या अब 9.36 लाख तक पहुंच गई है, जो पिछले वर्षों की तुलना में तीन गुना वृद्धि दर्शाती है। यह इस बात का प्रमाण है कि मध्यप्रदेश के किसान इस योजना पर भरोसा कर रहे हैं और इसे अपनी आर्थिक सुरक्षा की ढाल मानते हैं। “भावान्तर योजना” केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि अन्नदाताओं के परिश्रम को सम्मान देने की नीति है। यह योजना बताती है कि मध्यप्रदेश सरकार किसान को केंद्र में रखकर नीतियां बना रही है।

भावांतर योजना क्या है, क्यों लाई मोहन सरकार ?
मध्य प्रदेश में ‘भावांतर’ योजना में किसान पंजीकरण में तीन गुना वृद्धि देखी गई है, जो 9.36 लाख तक पहुँच गई है, जो डॉ. मोहन यादव सरकार की किसान हितैषी योजना मूल्य संरक्षण पहल में सुदृढ़ भागीदारी और विश्वास को दर्शाती है। भावांतर योजना एक मूल्य घाटा भुगतान योजना है, जिसका उद्देश्य किसानों को वित्तीय नुकसान से बचाने के लिये बाज़ार मूल्यों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बीच के अंतर को पाटना है। यह योजना विशेष रूप से मध्य प्रदेश के सोयाबीन और बाजरा किसानों को लक्षित करती है, जिसे देश का “सोयाबीन का कटोरा” कहा जाता है।
प्रक्रिया: किसानों को बोआई से पहले अपनी व्यक्तिगत जानकारी और फसल क्षेत्र का विवरण राज्य प्राधिकरणों के साथ पंजीकृत करना होता है तथा अपनी उपज को सरकारी अधिसूचित मंडियों में बेचना अनिवार्य होता है। सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मॉडल प्राइस तय करती है और औसत बाज़ार मूल्यों के आधार पर एक मॉडल दर (Model Rate) की गणना करती है। इसके साथ ही किसान द्वारा प्राप्त वास्तविक बिक्री मूल्य को दर्ज किया जाता है।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) उस अंतर के बराबर होता है, जो MSP/मॉडल प्राइस या मॉडल दर (इनमें से जो अधिक हो) और किसान के वास्तविक बिक्री मूल्य के बीच होता है। यह राशि सीधे किसान के बैंक खाते में जमा की जाती है।
मूल्य जोखिम से सुरक्षा: ये योजना किसानों को बाज़ार में मूल्य उतार-चढ़ाव से बचाव प्रदान करती है और उन्हें उचित मूल्य सुनिश्चित करती है।
किसानों को लाभ, राजकोषीय भार में कमी
राजकोषीय भार में कमी, इस योजना से खरीद, भंडारण और परिवहन पर होने वाले खर्चों से बचाव होता है। बाज़ार स्वतंत्रता को प्रोत्साहन, किसान अधिसूचित मंडियों में किसी भी खरीदार को अपनी उपज बेच सकते हैं। सरकार अनाज के भंडारण में होने वाले खर्च और भ्रष्टाचार से बच जाती है। पारदर्शिता: प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) प्रणाली के माध्यम से भुगतान सीधे और समय पर किसानों को मिलता है, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना घटती है।





