BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली एक बार फिर खतरनाक स्तर के वायु प्रदूषण से घिरी हुई है। आसमान में धुंध की मोटी परत छाई है और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार ‘गंभीर’ श्रेणी में बना हुआ है। ऐसे में राहत की किरण लेकर आई है आईआईटी कानपुर की वैज्ञानिक टीम, जिसने कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) तकनीक के ज़रिए दिल्ली की जहरीली हवा को शुद्ध करने की तैयारी पूरी कर ली है।
कैसे काम करेगी यह तकनीक
आईआईटी कानपुर की टीम, दिल्ली सरकार और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सहयोग से इस अभियान को अंजाम दे रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार, विशेष केमिकल स्प्रेड क्लाउड तकनीक अपनाई जाएगी, जिसमें एक विशेष विमान के माध्यम से सिल्वर आयोडाइड और सोडियम के मिश्रण वाले रसायन को बादलों में छोड़ा जाएगा। यह केमिकल नमी को बढ़ाकर कृत्रिम वर्षा उत्पन्न करेगा, जिससे हवा में मौजूद धूल और प्रदूषक तत्व नीचे बैठ जाएंगे।
IIT कानपुर ने की पूरी तैयारी
संस्थान के निदेशक डॉ. मणिंद्र अग्रवाल ने बताया कि इस तकनीक से करीब 100 किलोमीटर के क्षेत्र में बारिश कराई जा सकती है। पहले भी इस प्रयोग की कोशिश की गई थी, लेकिन आवश्यक अनुमतियाँ न मिलने के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका था। इस बार दिल्ली सरकार और पर्यावरण मंत्रालय दोनों से अनुमति मिल चुकी है। अब केवल अनुकूल मौसम यानी पर्याप्त बादलों के बनने का इंतजार है। टीम ने सभी तकनीकी तैयारियाँ और प्रैक्टिस रिहर्सल पूरी कर ली हैं। जैसे ही बादल दिल्ली के आसमान में घिरेंगे, तुरंत केमिकल स्प्रे कर बारिश कराई जाएगी।
विशेषज्ञों की राय
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि कृत्रिम वर्षा के बाद हवा में मौजूद धुआं, धूलकण और अन्य प्रदूषक तत्व धुल जाएंगे, जिससे राजधानी की वायु गुणवत्ता में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा।
देश के लिए एक मॉडल बन सकती है यह पहल
आईआईटी कानपुर की यह तकनीक न केवल दिल्ली के लिए बल्कि आने वाले समय में देश के अन्य प्रदूषित शहरों के लिए भी एक प्रभावी समाधान साबित हो सकती है।





