report: manish singh, by: vijay nandan
सुकमा: जिले में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के मंसूबों को नाकाम करते हुए 40 किलोग्राम के एक आईईडी (IED) को बरामद कर निष्क्रिय कर दिया है। यह आईईडी नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों को नुकसान पहुँचाने के इरादे से प्लांट किया गया था। सुरक्षा बलों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इसे मौके पर ही डिस्पोज कर दिया। घटना स्थल के आसपास सर्च ऑपरेशन जारी है। इस दौरान किसी भी तरह की चोट या नुकसान की सूचना नहीं है। सुरक्षा बल क्षेत्र में तलाशी अभियान चला रहे हैं।

#WATCH | Chhattisgarh: A 40 kg IED disposed off by the security forces in Sukma. The IED was planted by naxals with the intention to harm the security forces. Search operation is underway around the spot. No injuries or losses have been reported.
— ANI (@ANI) October 28, 2025
(Video: Sukma Police) pic.twitter.com/SfYEt0T2CC
नक्सली द्वारा इस तरह की वारदातों का उद्देश्य:
दहशत फैलाना: आईईडी जैसे विस्फोटक डिवाइस लगाकर नक्सली यह दिखाना चाहते हैं कि वे अभी भी क्षेत्र में मौजूद हैं और सक्रिय हैं। यह स्थानीय लोगों और सुरक्षा बलों के बीच डर और दहशत पैदा करने का एक तरीका है। सुरक्षा बलों को चुनौती: इस तरह की कार्रवाई सीधे तौर पर सरकारी सत्ता और सुरक्षा तंत्र को चुनौती देती है। यह दिखाना चाहते हैं कि सरकार या सुरक्षा बल उनके “मुक्त क्षेत्र” (Liberated Zones) में सुरक्षित रूप से प्रवेश नहीं कर सकते।

सुरक्षा बलों को क्षति पहुँचाना और मनोबल तोड़ना
जान-माल का नुकसान: आईईडी का मुख्य लक्ष्य सुरक्षा बलों के जवानों को मारना या घायल करना है। यह उन्हें आर्थिक और मानवीय दोनों तरह से नुकसान पहुँचाता है। मनोबल गिराना: लगातार हमलों और हताहतों के माध्यम से वे सुरक्षा बलों और पुलिस का मनोबल तोड़ना चाहते हैं, ताकि वे अंदरूनी क्षेत्रों में गश्त करने या ऑपरेशन चलाने से डरें।
सरकारी विकास कार्यों को बाधित करना
विकास कार्यों में रुकावट: सड़क निर्माण, पुल निर्माण या अन्य बुनियादी ढाँचे के विकास कार्यों के रूट पर आईईडी लगाना इन कार्यों को रोकने का एक तरीका है। नक्सली नहीं चाहते कि इन क्षेत्रों में सड़कें बनें, क्योंकि इससे सुरक्षा बलों की आवाजाही आसान हो जाती है और सरकारी पहुँच बढ़ती है।





