BY: Yoganand Shrivastva
इस साल मानसून सामान्य से लगभग आठ प्रतिशत अधिक रहा। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि सक्रिय मानसून और लगातार पश्चिमी विक्षोभों के चलते बारिश अधिक हुई। इस वजह से पंजाब में बाढ़ के हालात बने और महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में भी बाढ़ जैसी स्थिति देखने को मिली, जिससे काफी नुकसान हुआ।
मानसून इस साल 24 मई को देश में प्रवेश किया और 15 अक्टूबर को औपचारिक रूप से विदा हुआ। सामान्य से नौ दिन अधिक लंबे इस मानसून के दौरान 30 सितंबर तक चार महीने में देशभर में 937.2 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि सामान्य स्तर 868.6 मिमी है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, 2009 के बाद यह सबसे जल्दी आए मानसून था।
पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में इस दौरान वर्षा सामान्य से 20 प्रतिशत कम रही। वहीं, पश्चिमोत्तर भारत में 27.3 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई। पंजाब में दशकों की सबसे भारी बाढ़ आई, जबकि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं से नुकसान हुआ।
IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के अनुसार, ज्यादा बारिश का मुख्य कारण सक्रिय मानसून और लगातार पश्चिमी विक्षोभ हैं। इस साल मध्य भारत में 15.1 प्रतिशत और दक्षिणी प्रायद्वीप में 9.9 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई। जून में वर्षा सामान्य से 8.9 प्रतिशत अधिक, जुलाई में 4.8 प्रतिशत, अगस्त में 5.2 प्रतिशत और सितंबर में 15.3 प्रतिशत अधिक रही।
मानसून की अधिक वर्षा कृषि के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश की लगभग 42 प्रतिशत आबादी इस पर निर्भर है और यह सकल घरेलू उत्पाद में 18.2 प्रतिशत का योगदान देती है। साथ ही, जलाशयों में पानी भरने और बिजली उत्पादन में भी मदद करती है।
इस साल अक्टूबर के पहले सप्ताह से ही पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी शुरू हो गई, जिससे दिल्ली और उत्तर भारतीय राज्यों में ठंड का आगमन पहले ही हो गया है। इस बार की सर्दियां सामान्य से लंबी और ठंडी रहने की संभावना है।
मौसम विभाग का अनुमान है कि पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में 28 से 31 अक्टूबर के बीच भारी बारिश हो सकती है। बंगाल की खाड़ी में बने गहरे दबाव के क्षेत्र के कारण यह चक्रवात के रूप में बदल सकता है, जिसका असर पूर्वी राज्यों और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में भी देखने को मिलेगा। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि देश के अधिकतर हिस्सों में दिसंबर तक सामान्य से अधिक वर्षा जारी रहने की संभावना है।





