BY: Yoganand Shrivastva
इस्लामाबाद/काबुल। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच पिछले कुछ हफ्तों से सीमा पर तनाव चरम पर है। लगातार हुई झड़पों और हवाई हमलों के बीच अब दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल तुर्किये के इस्तांबुल में शांति वार्ता में शामिल हैं। लेकिन इसी बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि बातचीत विफल होती है, तो इस्लामाबाद ‘खुले युद्ध’ के लिए तैयार है।
सीमा विवाद और शांति वार्ता
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच चल रही वार्ता का उद्देश्य सीमापार संघर्ष, संघर्ष विराम उल्लंघनों और बढ़ते तनाव को खत्म करना है। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ख्वाजा आसिफ ने कहा कि हाल के दिनों में झड़पें नहीं हुई हैं, जो संकेत देता है कि दोहा समझौता कुछ हद तक प्रभावी रहा है। हालांकि, अफगान सरकार ने इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
वार्ता के मुख्य बिंदु
इस्तांबुल में चल रही इस बैठक में चार अहम मुद्दों पर चर्चा हो रही है —
- भविष्य में हिंसा रोकने के लिए संयुक्त निगरानी प्रणाली का निर्माण।
- दोनों देशों की संप्रभुता का परस्पर सम्मान सुनिश्चित करना।
- पाकिस्तान के सुरक्षा संकट की जड़ों को संबोधित करना।
- व्यापार प्रतिबंधों में ढील देना और अफगान शरणार्थियों के निर्वासन को रोकना।
इसके अलावा, शरणार्थी मुद्दे को राजनीतिक विवादों से दूर रखने पर भी सहमति बनने की कोशिश जारी है।
वार्ता का दूसरा दौर जारी
यह शांति वार्ता कतर और तुर्किये की मध्यस्थता में आयोजित की जा रही है। इससे पहले 18 और 19 अक्टूबर को दोहा में पहले दौर की बातचीत हुई थी, जहां दोनों देशों ने सीमा पर हुई झड़पों के बाद ‘तत्काल युद्धविराम’ पर सहमति जताई थी।
कतर का बयान
कतर के विदेश मंत्रालय ने हाल ही में कहा था कि दोनों देशों के बीच हुए संघर्षों के बाद युद्धविराम को स्थायी और विश्वसनीय बनाने के लिए इस्तांबुल में यह वार्ता आयोजित की जा रही है।
स्थिति फिर बिगड़ने की आशंका
रक्षा मंत्री आसिफ ने संकेत दिया कि हालात इस समय नियंत्रण में हैं, लेकिन यदि कूटनीतिक प्रयास विफल रहे, तो स्थिति तेजी से गंभीर रूप ले सकती है।





