रिपोर्ट- हिमांशु प्रियदर्शी
रांची: धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर आज राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और विधायक श्रीमती कल्पना सोरेन ने रांची स्थित बिरसा चौक पहुंचकर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। नेताओं ने बिरसा मुंडा के संघर्ष, आदिवासी अधिकारों की रक्षा और समाज सुधार की उनकी विरासत को नमन भी किया।

भगवान बिरसा मुंडा: संघर्ष, स्वाभिमान और जन-जन के प्रेरणास्रोत
भगवान बिरसा मुंडा ने 19वीं सदी में ब्रिटिश शासन और जमींदारी अत्याचार के विरुद्ध अदम्य साहस के साथ लड़ाई लड़ी। उन्होंने ‘उलगुलान’ (महाऔद्योगिक आंदोलन) का नेतृत्व किया, जिसने आदिवासी समुदाय को अपनी पहचान, अपने हक और अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की प्रेरणा दी। उनका संघर्ष सिर्फ राजनीतिक नहीं था, यह भूमि, संस्कृति, स्वाभिमान और अस्तित्व की लड़ाई थी। आज भी वे करोड़ों लोगों की प्रेरणा हैं और आदिवासी गौरव के सर्वोच्च प्रतीक बने हुए हैं।
भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती और झारखण्ड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर मैं धरती आबा के संघर्ष और शहादत को शत-शत नमन करता हूं।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) November 15, 2025
धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा अमर रहें!
अमर रहें! अमर रहें!#BirsaMunda #DhartiAaba #DishomGuru #JharkhandAt25 #JharkhandInfiniteOpportunities… pic.twitter.com/WpAo7u2oPB
झारखंड स्थापना दिवस: नए राज्य के सपनों का 25 वर्षों का सफर
15 नवंबर 2000 को झारखंड भारत का 28वां राज्य बना। यह सिर्फ एक प्रशासनिक परिवर्तन नहीं था, बल्कि एक ऐतिहासिक परिणाम था। 15 नवंबर आदिवासी नायकों, आंदोलनकारियों और समाज के प्रखर नेताओं की पीढ़ियों के सपनों के पूरा होने का दिन है।





