BY: MOHIT JAIN
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में दिल की बीमारियां सिर्फ उम्रदराज लोगों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही हैं। खराब खानपान, तनाव और असंतुलित लाइफस्टाइल इसके बड़े कारण हैं। पिछले कुछ वर्षों में युवाओं में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़े हैं। लोगों को हार्ट हेल्थ के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास, महत्व और इस साल की थीम।
वर्ल्ड हार्ट डे का इतिहास

वर्ल्ड हार्ट डे की शुरुआत साल 1999 में वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन (World Heart Federation) ने की थी। इस पहल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूनेस्को (UNESCO) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का भी सहयोग मिला।
सबसे पहले, इस दिन को वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अध्यक्ष और प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अंतोनी बेयस डी लुना ने मनाना शुरू किया। शुरुआत में यह दिन सितंबर के आखिरी रविवार को मनाया जाता था, लेकिन 2011 से इसे स्थायी रूप से 29 सितंबर को मनाया जाने लगा।
वर्ल्ड हार्ट डे 2025 का महत्व
दिल से जुड़ी ज्यादातर बीमारियां गलत खानपान, वर्कआउट की कमी, धूम्रपान और शराब के अधिक सेवन जैसी आदतों से पैदा होती हैं। यही वजह है कि वर्ल्ड हार्ट डे का मुख्य उद्देश्य लोगों को ये बताना है कि हृदय रोग अब सिर्फ बुजुर्गों में नहीं बल्कि युवाओं में भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
इस दिन लोगों को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने और बुरी आदतें छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है ताकि दिल की बीमारियों से बचाव किया जा सके।
वर्ल्ड हार्ट डे 2025 की थीम
हर साल वर्ल्ड हार्ट डे एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल 2025 की थीम “एक भी धड़कन न चूकें” (Don’t Miss a Beat) रखी गई है। यह थीम दिल के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए एक्टिव रहने, चेतावनी संकेतों को नजरअंदाज न करने, हेल्दी और संतुलित आहार लेने और नियमित व्यायाम करने पर जोर देती है।
युवाओं में क्यों बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार 10-12 साल पहले युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बहुत कम होते थे। लेकिन अब हर महीने अस्पतालों में 15-20 केस सिर्फ युवाओं के हार्ट अटैक या स्ट्रोक के सामने आ रहे हैं। इनमें से कई मरीज डायबिटीज या अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित नहीं होते, फिर भी उन्हें दिल की समस्याएं हो रही हैं।
अमेरिकन जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित शोध के अनुसार, 7-8 घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम रखने वाले युवाओं में हार्ट संबंधी समस्याओं का खतरा ज्यादा है। यही वजह है कि डॉक्टर Gen Z को हार्ट हेल्थ को प्राथमिकता देने और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की सलाह दे रहे हैं।
हार्ट अटैक के प्रमुख लक्षण
हार्ट अटैक के लक्षण अक्सर धीरे-धीरे बढ़ते हैं, लेकिन कभी-कभी यह अचानक भी सामने आ सकते हैं।
- सीने में दर्द या दबाव – जो जकड़न, दबाव या पीड़ा जैसा महसूस हो सकता है।
- दर्द या बेचैनी का फैलना – कंधे, बांह, पीठ, गर्दन, जबड़े या ऊपरी पेट तक दर्द जाना।
- ठंडा पसीना और थकान महसूस होना।
- सीने में जलन, अपच या चक्कर आना।
- सांस लेने में कठिनाई या जी मिचलाना।
महिलाओं में ये लक्षण अलग हो सकते हैं, जैसे गर्दन, बांह या पीठ में हल्का या तेज दर्द। कई बार दिल के दौरे का पहला संकेत अचानक हार्ट बीट रुकना भी हो सकता है।
हार्ट अटैक से बचाव के उपाय

डॉक्टरों के मुताबिक युवाओं को अब दिल के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की जरूरत है।
- हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं – ताजे और घर के बने भोजन को प्राथमिकता दें।
- डेली एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं।
- स्क्रीन टाइम कम करें – खासकर रात के समय।
- तनाव प्रबंधन और समय पर सोने की आदत डालें।
- सालाना हार्ट चेकअप कराएं और ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल व शुगर स्तर नियमित रूप से जांचें।
इन आदतों को अपनाकर हार्ट अटैक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
वर्ल्ड हार्ट डे सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि दिल की सेहत के प्रति जागरूकता फैलाने का वैश्विक अभियान है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को याद दिलाना है कि हेल्दी हार्ट ही हेल्दी लाइफ की नींव है।