आगरा | आगरा के चर्चित बैंक मैनेजर हत्या केस में आखिरकार न्याय का फैसला आ गया। दो साल पहले हुई इस रहस्यमयी मौत को परिवार ने आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की थी, लेकिन अदालत ने सच्चाई उजागर कर दी।
कोर्ट ने बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर सचिन उपाध्याय की हत्या के मामले में उनकी पत्नी प्रियंका रावत और साले कृष्णा रावत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वहीं ससुर बिजेंद्र रावत, जो कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं, को सबूत नष्ट करने के अपराध में 7 साल की कैद दी गई है।
दो साल पुरानी हत्या, जो दिखी थी आत्महत्या
11 अक्टूबर 2023 की रात सचिन उपाध्याय की मौत उनके ही घर में हुई थी। शुरू में यह मामला आत्महत्या का लग रहा था, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और गवाहों के बयानों ने सच्चाई सामने ला दी। सचिन अपने छोटे भाई के लिए पेट्रोल पंप लेने की कोशिश कर रहे थे। इस बात से पत्नी और ससुराल पक्ष नाराज थे, क्योंकि वे चाहते थे कि पूरा पैसा उनके पास ही रहे। लालच और गुस्से ने मिलकर इस हत्या की साजिश को जन्म दिया।
हत्या की रात क्या हुआ था
उस रात प्रियंका और उसके भाई कृष्णा ने सचिन को बेरहमी से पीटा। शरीर पर गर्म लोहे के निशान मिले और निजी अंगों पर चोटें थीं। अंत में गला दबाकर उनकी हत्या कर दी गई।
अगले दिन परिवार ने पुलिस को गुमराह करने के लिए इसे आत्महत्या बताया। लेकिन घरेलू नौकरानी मुन्नी और पड़ोसी फकीरा की गवाही ने पूरी कहानी पलट दी।
नौकरानी मुन्नी की गवाही बनी सबूत की रीढ़
मुन्नी ने बताया कि 11 अक्टूबर की शाम वह रोज की तरह 6 बजे घर पहुंची और 8:30 बजे तक काम किया। अगले दिन जब वह वापस आई, तो प्रियंका ने उसे रसोई में जाने से मना किया और कहा, “तू बस रोटियां बना, कुछ मत छू।”
यह व्यवहार उसके लिए असामान्य था, क्योंकि पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था। इसी से पुलिस को शक हुआ कि घर में कुछ छुपाने की कोशिश हो रही है।
पड़ोसी फकीरा ने खोला सच का पर्दा
फकीरा, जो स्थानीय विधायक के भाई हैं, ने बताया कि अगले दिन कृष्णा ने उन्हें फोन करके कहा कि “जीजाजी ने आत्महत्या कर ली है।” जब वे घर पहुंचे, तो सचिन का शव आधा बिस्तर पर और आधा जमीन पर था — जिससे साफ हुआ कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या थी। उन्होंने यह भी बताया कि लड़की पक्ष शव को दूसरे अस्पताल ले जाना चाहता था, पर परिवार के दबाव के बाद शव साकेत हॉस्पिटल भेजा गया। डॉक्टरों ने साफ कहा कि मौत कई घंटे पहले हो चुकी थी।
कोर्ट में टूटी प्रियंका, खुद कबूल किया अपराध
सजा सुनाते समय अदालत में प्रियंका रावत भावनाओं पर काबू नहीं रख सकी और चिल्ला उठी — “हां, मैंने ही मारा है अपने पति को!” पूरा कोर्टरूम कुछ क्षणों के लिए सन्न रह गया। हालांकि यह बयान न्यायिक रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हुआ, लेकिन उसने घटना की भयावहता सबके सामने रख दी।
पिता बोले – “मैं हाईकोर्ट जाऊंगा, इन्हें फांसी दिलाऊंगा”
तक के पिता केशव देव शर्मा ने कहा कि उन्हें यह फैसला अधूरा लगता है।
“मेरे बेटे ने कोई अपराध नहीं किया था। वह परिवार के लिए जीता था। जब तक हत्यारों को फांसी नहीं होती, मैं लड़ाई जारी रखूंगा।”
उन्होंने बताया कि सचिन बेहद संस्कारी और परिवार से जुड़ा हुआ था, लेकिन ससुराल पक्ष उसकी संपत्ति और पैसों पर नियंत्रण चाहता था। इसी लालच ने उसकी जान ले ली।
अदालत का फैसला और आगे की लड़ाई
आगरा की सत्र अदालत ने
- प्रियंका रावत और कृष्णा रावत को आजीवन कारावास,
- बिजेंद्र रावत को 7 साल की कैद,
- और सभी पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया है।
वादी पक्ष के वकील अवधेश शर्मा ने कहा कि अगर मुन्नी और फकीरा हिम्मत न दिखाते, तो यह हत्या कभी उजागर नहीं हो पाती।





