“कभी हार नहीं मानना, चाहे पहला प्रयास असफल क्यों न हो—यही सच्ची सफलता की कुंजी है।”
बलिया जिले के एक छोटे से गाँव रामपुर मुतलके बाजिदपुर की बेटी शक्ति दुबे ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2024 में शानदार सफलता हासिल करके साबित कर दिया कि मेहनत और लगन से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में यह उपलब्धि हासिल की, जबकि पहले प्रयास में वह इंटरव्यू तक पहुँची थीं, लेकिन फाइनल सिलेक्शन नहीं हो पाया था।
परिवार का सहयोग और संघर्ष की कहानी
- शक्ति के पिता देवेंद्र कुमार दुबे यूपी पुलिस में इंस्पेक्टर हैं और वर्तमान में प्रयागराज में तैनात हैं।
- उनके परिवार में तीन बहनें और एक भाई हैं, जिनमें दो बहनें (प्रगति और क्षमा) भी यूपीएससी की तैयारी कर रही हैं।
- शक्ति ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट मैरिज कॉन्वेंट स्कूल, प्रयागराज से पूरी की, फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीएससी और बीएचयू से एमएससी की डिग्री हासिल की।
दूसरे प्रयास में कैसे बनीं टॉपर?
पहले प्रयास में इंटरव्यू तक पहुँचने के बावजूद फाइनल सिलेक्शन नहीं होने पर शक्ति ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी रणनीति को और मजबूत किया, कमजोरियों पर काम किया और दूसरे प्रयास में पूरी तैयारी के साथ परीक्षा दी। उनकी इस जीत ने साबित कर दिया कि असफलता सफलता की सीढ़ी होती है।
गाँव में जश्न का माहौल
शक्ति की सफलता की खबर सुनते ही उनके गाँव में खुशी की लहर दौड़ गई। परिवार, रिश्तेदार और गाँववालों ने उनकी इस उपलब्धि पर खुशियाँ मनाईं।
क्या है शक्ति दुबे की सफलता का मंत्र?
- लक्ष्य पर फोकस: पहले प्रयास में असफलता के बाद भी हिम्मत नहीं हारी।
- सही रणनीति: कमजोर विषयों पर विशेष ध्यान दिया।
- परिवार का सपोर्ट: पिता के प्रोफेशनल अनुशासन और परिवार के प्रोत्साहन ने मदद की।
निष्कर्ष: शक्ति दुबे की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो सिविल सेवा जैसी कठिन परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है। यह साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।