अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के ऐलान ने ऑटोमोबाइल सेक्टर में हलचल मचा दी है। ट्रंप के अनुसार, यह फैसला भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के चलते लिया गया है। पहले से ही लागू 25% टैरिफ के बाद अब कुल अमेरिकी टैरिफ 50% हो जाएगा, जो 27 अगस्त 2025 से प्रभावी रहेगा।
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यह कदम भारत के कई उद्योगों को प्रभावित करेगा, लेकिन सबसे बड़ा असर ऑटो पार्ट्स एक्सपोर्ट पर पड़ने की आशंका है।
ऑटो पार्ट्स एक्सपोर्ट पर भारी असर
61,000 करोड़ रुपये तक का नुकसान संभव
- फिलहाल भारत हर साल अमेरिका को करीब 7 अरब डॉलर (लगभग 61,000 करोड़ रुपये) के ऑटो पार्ट्स एक्सपोर्ट करता है।
- लेकिन नए टैरिफ के बाद इस एक्सपोर्ट में 50% तक की गिरावट आ सकती है।
अमेरिका: भारत का सबसे बड़ा ग्राहक
- भारत के ऑटो पार्ट्स एक्सपोर्ट में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 32 प्रतिशत है।
- यानी, अमेरिका भारत से सबसे ज्यादा ऑटो कंपोनेंट्स खरीदता है।
- ऐसे में टैरिफ बढ़ने से भारत का निर्यात और रोजगार दोनों प्रभावित होंगे।
भारत की मौजूदा कस्टम ड्यूटी कम है
- भारत फिलहाल अमेरिका से आने वाले ऑटो पार्ट्स पर 5 से 15 प्रतिशत तक कस्टम ड्यूटी लगाता है।
- भारत अमेरिका को रेडीमेड गाड़ियां नहीं भेजता, लेकिन ऑटो पार्ट्स के मामले में भारत की हिस्सेदारी मजबूत रही है।
लंबे समय तक लागू रहा तो संकट और गहराएगा
यदि ट्रंप की यह टैरिफ नीति लंबे समय तक लागू रहती है, तो:
- भारतीय ऑटो इंडस्ट्री को ऑर्डर गंवाने पड़ सकते हैं।
- छोटे और मझोले ऑटो पार्ट्स मैन्युफैक्चरर्स को बड़ा नुकसान हो सकता है।
- रोजगार पर भी सीधा असर पड़ने की संभावना है, क्योंकि यह सेक्टर लाखों लोगों को रोजगार देता है।
नीति में बदलाव जरूरी
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक टकराव का यह नया दौर भारत के लिए खतरे की घंटी है। सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर अमेरिका से कूटनीतिक स्तर पर बातचीत करे और टैरिफ में राहत पाने की कोशिश करे, ताकि भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को बड़ा झटका न लगे।