प्रदर्शन की भीड़ पर उठे सवाल, दावे की खुली पोल
भोपाल में सोमवार को किसान कांग्रेस के प्रदर्शन के दौरान बड़ा हादसा हो गया। प्रदर्शन के दौरान मंच अचानक ढह गया, जिससे कई लोग घायल हो गए। इस हादसे में कांग्रेस नेता राजीव सिंह को गंभीर चोट आई, उनके पेट में लोहे की रॉड घुस गई। इसके अलावा 10 से 12 अन्य लोग भी घायल हुए हैं। हादसे के बाद प्रदर्शन रोक दिया गया और घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया।
कैसे हुआ हादसा?
जानकारी के अनुसार, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी जब मंच पर पहुंचे, तो वहां भीड़ अधिक हो गई। मंच पर जरूरत से ज्यादा लोगों की मौजूदगी के कारण वह अचानक भरभराकर गिर पड़ा, जिससे कई कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता चोटिल हो गए।
राजीव सिंह की हालत गंभीर
मंच गिरने से कांग्रेस नेता राजीव सिंह के पेट में लोहे की रॉड घुस गई, जिससे उनके शरीर से तेजी से खून बहने लगा। देखते ही देखते मंच पर बिछी सफेद चादर खून से लाल हो गई। मौके पर मौजूद नेताओं और कार्यकर्ताओं ने तुरंत उन्हें अस्पताल पहुंचाया, जहां उनका इलाज जारी है।
प्रदर्शन का मकसद क्या था?
कांग्रेस ने इस प्रदर्शन का आयोजन भाजपा सरकार पर चुनावी वादे पूरे न करने के आरोपों को लेकर किया था। पार्टी का कहना था कि सरकार किसानों से किए गए वादों को पूरा करने में नाकाम रही है। इस आंदोलन में प्रदेशभर से लगभग 3000 कांग्रेस कार्यकर्ता के शामिल होने का दावा किया गया लेकिन प्रदर्शन में मीडिया कवरेज करने पहुंचे पत्रकारों ने इस दावे की पोल खोल दी। बताया गया कि तीन हजार दो सौ से 300 कार्यकर्ता ही प्रदर्शन में पहुंचे थे।
किसान न्याय योद्धा अभियान की शुरुआत
इसके अलावा, कांग्रेस ने ‘किसान न्याय योद्धा अभियान’ भी शुरू किया है। यह अभियान पार्टी नेता राहुल गांधी की सोच के अनुरूप किसानों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार किया गया है। योजना के तहत हर जिले में 1000 किसान न्याय योद्धा तैयार किए जाएंगे और इसके बाद किसान न्याय यात्रा निकाली जाएगी। इस अभियान को सफल बनाने के लिए एक समिति गठित की गई है, जिसमें राहुल राज, राम मनोहर बरुआ और कुलदीप पटेल को संयोजक बनाया गया है। भोपाल में हुए इस हादसे ने कांग्रेस के प्रदर्शन को बीच में ही रोक दिया। मंच गिरने से हुए हादसे ने सुरक्षा उपायों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। फिलहाल, कांग्रेस नेता राजीव सिंह की हालत गंभीर बनी हुई है और अन्य घायलों का भी इलाज जारी है।
मंच टूटना लापरवाही या अव्यवस्था?
प्रदर्शन के दौरान मंच का टूटना कांग्रेस के लिए न केवल सुरक्षा में चूक साबित हुआ बल्कि यह भी दर्शाता है कि आयोजन में प्रशासनिक स्तर पर समुचित तैयारी नहीं थी। इस घटना के बाद कांग्रेस ने सरकार को घेरने की कोशिश की, लेकिन इसके बजाय पार्टी की खुद की तैयारी पर सवाल उठने लगे।
क्या प्रदर्शन सिर्फ औपचारिकता थी?
जिस तरह से इस प्रदर्शन में जनता की भागीदारी कम रही और आयोजन में अव्यवस्था दिखी, उससे यह स्पष्ट होता है कि यह आंदोलन जनता की आवाज बनने से ज्यादा विपक्ष की औपचारिकता निभाने जैसा था। कांग्रेस यदि सरकार के खिलाफ प्रभावी प्रदर्शन करना चाहती है, तो उसे जमीनी स्तर पर तैयारी करनी होगी, वरना इस तरह के विरोध सिर्फ खानापूर्ति बनकर रह जाएंगे।





