लेखक- नेहा बलवानी
आज के डिजिटल दौर में लोगों का ध्यान कम समय तक टिक पाता है, सूचनाओं की बाढ़ ने जगह ले ली है और उपभोक्ता तेज़ और सटीक जानकारी चाहते हैं। ऐसे में पुराने और धीमे तरीकों से काम करने वाली PR प्रक्रिया आज के बदलते समय के अनुकूल नहीं है। इस कारण पत्रकारिता और पब्लिक रिलेशंस (PR) उद्योग कई नई चुनौतियों का सामना कर रहा है।
इस नयी ध्यान की अर्थव्यवस्था (Attention Economy) में ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), एक परिवर्तन है जो सूचनाओं के शोर को कम कर प्रासंगिक और सटीक कहानियों को सामने लाएगा।
इस नई नीति विकास से पत्रकारों का समय बचा रहा है और PR एजेंसियों को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बना रहा है।
एक शोध के अनुसार, 50 डिजिटल-फर्स्ट कंपनियों के विश्लेषण में पाया कि ऑटोमेटेड PR वर्कफ़्लो अपनाने से PR टीमों ने 75% तक समय बचाया और अर्जित मीडिया (earned media) के जरिए 30% अधिक प्रभाव प्राप्त किए।
AI ऑटोमेशन पत्रकारिता को वास्तविक प्रभाव देगा जैसे:
- 90% तेज़ रिपोर्टिंग साइकिल्स – क्योंकि मॉनिटरिंग और एनालिटिक्स अब रियल-टाइम में ऑटोमेट किए जा सकते हैं।
- 78% PR प्रोफेशनल्स मानते हैं कि ऑटोमेशन से उनके काम की गुणवत्ता बेहतर होती है, केवल गति ही नहीं।
AI ऑटोमेशन का मुख्य कार्य होंगे
- रिपोर्टर्स के लिए: यह अप्रासंगिक पिच और जटिल जार्गन को फ़िल्टर करता है और केवल वही सामने लाता है जो वास्तव में मायने रखते हैं।
- एडिटर्स के लिए: यह साफ़ और उपयोगी डेटा देता है कि पाठकों को क्या पसंद आ रहा है, जिससे अधिक सटीक निर्णय लिए जा सकते हैं।
- PR टीमों के लिए: यह समय और बेकार की मेहनत बचाता है, जिससे वे रणनीति, स्टोरीटेलिंग और विश्वसनीयता निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
AI ऑटोमेशन निम्नलिखित तकनीकी अनुप्रयोगों पर आधारित होगा, जैसे: - नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP): लाखों दस्तावेज़ों को स्कैन कर सेकंडों में प्रासंगिक तथ्य निकालती है।
- मशीन लर्निंग मॉडल्स: सोशल मीडिया और ऑनलाइन फ़ोरम की निगरानी कर ब्रेकिंग न्यूज़ का पूर्वानुमान लगाना।
- अन्य टूल्स: ऑटोमेटेड ट्रांसक्रिप्शन, सेंटिमेंट एनालिसिस और इमेज वेरिफिकेशन रिपोर्टिंग को तेज़ करेंगे और मानवीय त्रुटियों को कम करेंगे।
- AI रिकमेंडेशन एल्गोरिद्म्स: कंटेंट डिलीवरी को व्यक्तिगत बनाएँगे ताकि पाठक जुड़े रहें।
इसलिए पत्रकारों के लिए यह बदलाव विशेष महत्व रखता है। रैंक्क्किंग (Rankkking) के संस्थापक अंकुश गुप्ता दस से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ, AI और PR ऑटोमेशन में विशेषज्ञ के रूप से काम कर रहे है – उनके अनुसार: आज पत्रकारिता का सबसे बड़ा संकट समय की कमी और सूचना का शोर है। ऑटोमेशन पत्रकारों को प्रासंगिक कहानियों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है, वहीं PR एजेंसियों को बेहतर संबंध बनाने और पारदर्शी संवाद की दिशा में ले जाता है।
अंकुश युवा फ़ाउंडर्स को ऑटोमेशन अपनाने, अपनी पीआर रणनीतियों को स्केल करने, समय बचाने, लागत घटाने और मज़बूत नैरेटिव बनाने में मदद करते हैं।
भविष्य की झलक:
2026 तक, ऑटोमेटेड PR वर्कफ़्लोज़ उतने ही ज़रूरी हो जाएंगे जितने आज सेल्स टीमों के लिए CRM टूल्स हैं। आने वाले समय में AI सिस्टम पैटर्न पहचानेंगे, संभावित ख़बरों का पूर्वानुमान लगाएंगे और पत्रकारों को रियल-टाइम डेटा भी उपलब्ध कराएँगे।
इसलिए अब सवाल यह नहीं है कि पत्रकारिता में AI का क्या प्रभाव होगा, बल्कि यह है कि कैसे AI के साथ सहयोग करके पत्रकारिता का भविष्य विकसित किया जाएगा।