Isa Ahmad
बिहार चुनाव पर टिकी पूरे देश की निगाह, पूर्वांचल की सियासत पर भी पड़ेगा असर
वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र का कहना है कि इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की नजर टिकी हुई है। बिहार में सत्ता की जंग जीतने के लिए दोनों गठबंधन दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। यह चुनाव सिर्फ बिहार की नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की सियासत की दिशा भी तय करेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार चुनाव के नतीजे पूर्वांचल की राजनीतिक हवा का रुख बदल सकते हैं, क्योंकि बिहार और यूपी के करीब 10 जिले ऐसे हैं जिनके बीच रोटी-बेटी का पुराना रिश्ता है। हजारों की संख्या में बिहार के कामगार उत्तर प्रदेश के शहरों में रहते हैं और अब मतदान के लिए अपने गांव लौटने लगे हैं।
इस बार बिहार में पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होगा, जिसमें 18 जिलों की 121 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। जबकि दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा, जिसमें 20 जिलों की 122 सीटें शामिल हैं। पहले चरण में नीतीश सरकार के 16 मंत्री मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश से सटे बिहार के 20 विधानसभा क्षेत्र भी इस बार चुनावी सुर्खियों में हैं। इनमें गोपालगंज, भोजपुर, बक्सर, कैमूर, सीवान और सारण जैसे जिले शामिल हैं। ये जिले उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र से सीधे जुड़े हुए हैं। शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार के नजरिए से यहां के लोगों का लगातार आना-जाना बना रहता है।
सियासी जानकारों के अनुसार, बिहार के नतीजों का असर यूपी के पूर्वांचल की राजनीति पर सीधा पड़ेगा। यहां तक कि बिहार के परिणाम भविष्य में होने वाले उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों की रणनीति को भी प्रभावित करेंगे।





