दुनिया आज जिस मोड़ पर खड़ी है, वहां हर कोना अस्थिरता से ग्रस्त है। इज़राइल और ईरान के बीच तनाव, रूस-यूक्रेन युद्ध, और अमेरिका-चीन की बढ़ती टकराहट — ये सब मिलकर दुनिया को तीसरे परमाणु युद्ध की ओर धकेल रहे हैं। कई विश्लेषकों का मानना है कि हम Third Nuclear Age में प्रवेश कर चुके हैं, जहां परमाणु हथियारों की बहुध्रुवीय स्पर्धा और तकनीकी क्रांति इस संकट को और बढ़ा रही है।
तीसरा परमाणु युग (Third Nuclear Age) क्या है?
इस समय दुनिया जिस अवस्था में है, उसे विशेषज्ञ “तीसरा परमाणु युग” कह रहे हैं, जिसमें:
- बहु-ध्रुवीय शक्ति संतुलन बन चुका है (अमेरिका, रूस, चीन, भारत, फ्रांस, UK, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, इजराइल)
- नए तकनीकी आयाम जैसे AI, हाइपरसोनिक मिसाइल्स, और साइबर युद्ध शामिल हो चुके हैं
- परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण तेजी से हो रहा है
- नियंत्रण संधियां विफल होती दिख रही हैं
तीन परमाणु युग: एक संक्षिप्त इतिहास
युग | अवधि | प्रमुख घटनाएं |
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पहला परमाणु युग | 1945-1991 | अमेरिका द्वारा हिरोशिमा-नागासाकी पर हमला, US vs USSR शीत युद्ध |
दूसरा परमाणु युग | 1991-2010 | USSR का विघटन, भारत के पोखरण परीक्षण, वैश्विक संधियों का प्रयास |
तीसरा परमाणु युग | 2010-वर्तमान | चीन की परमाणु शक्ति में वृद्धि, ईरान व उत्तर कोरिया की सक्रियता, तकनीकी चुनौती |
भारत की स्थिति और नीति
भारत ने हमेशा “No First Use” (पहले उपयोग न करने) की नीति अपनाई है। भारत की परमाणु नीति के मुख्य सिद्धांत:
- नो फर्स्ट यूज़ (NFU) – भारत किसी देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा
- क्रेडिबल मिनिमम डिटरेंस – न्यूनतम लेकिन प्रभावी प्रतिरोधक क्षमता
- मैसिव रिटालिएशन – अगर हमला हुआ, तो जबरदस्त जवाब मिलेगा
भारत का न्यूक्लियर ट्रायड (Triad)
भारत उन 4 देशों में शामिल है जिनके पास थल, जल और वायु – तीनों माध्यमों से परमाणु हमला करने की क्षमता है।
- थल: अग्नि, पृथ्वी और ब्रह्मोस मिसाइलें
- जल: INS अरिहंत, K-15 सागरिका
- वायु: मिराज, जगुआर, राफेल जैसे विमान
वैश्विक परमाणु संधियां: क्या ये विफल हो रही हैं?
1. Partial Test Ban Treaty (PTBT)
भूमिगत परीक्षण को छोड़कर अन्य सभी परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध
2. Non-Proliferation Treaty (NPT)
परमाणु हथियारों के प्रसार पर रोक, भारत इसमें शामिल नहीं है
3. Comprehensive Test Ban Treaty (CTBT)
परमाणु परीक्षणों पर पूर्ण प्रतिबंध का प्रयास, भारत ने हस्ताक्षर नहीं किए
4. Treaty on the Prohibition of Nuclear Weapons (TPNW)
परमाणु हथियारों पर संपूर्ण प्रतिबंध – भारत इसका हिस्सा नहीं है
न्यूक्लियर स्टॉकपाइल और डूम्सडे क्लॉक
- रूस और अमेरिका के पास सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं: रूस (5,449), अमेरिका (5,277)
- चीन के पास 600 परमाणु हथियार हैं, जो 2030 तक 1000 हो सकते हैं
- डूम्सडे क्लॉक: एक प्रतीकात्मक घड़ी जो बताती है कि मानवता “प्रलय” से कितनी दूर है। 2024 में यह 90 सेकंड्स टू मिडनाइट पर सेट की गई थी, जो अब तक की सबसे खतरनाक स्थिति है।
भविष्य की बड़ी चुनौतियाँ
तकनीकी खतरे:
- हाइपरसोनिक हथियार – ध्वनि से 5 गुना तेज, रोकना मुश्किल
- AI और ऑटोमेटेड सिस्टम्स – स्वचालित परमाणु निर्णय खतरे की घंटी
- साइबर वॉरफेयर – परमाणु सिस्टम हैकिंग का खतरा
- स्पेस वेपनाइजेशन – अंतरिक्ष में हथियारों की दौड़
नॉन-स्टेट एक्टर्स:
- आतंकवादी समूहों द्वारा परमाणु सामग्री की चोरी
- “डर्टी बम” का खतरा
- न्यूक्लियर ब्लैक मार्केट का विस्तार
क्या तीसरा विश्व युद्ध संभव है?
विशेषज्ञ मानते हैं कि:
- क्षेत्रीय संघर्ष (जैसे रूस-यूक्रेन, ईरान-इज़राइल) वैश्विक परमाणु टकराव को जन्म दे सकते हैं
- परमाणु हथियारों का इस्तेमाल अब राजनीतिक हथियार भी बनता जा रहा है
- कूटनीतिक विफलताएं और कमजोर संधियां खतरनाक भविष्य का संकेत हैं
भारत क्या कर सकता है?
राष्ट्रीय स्तर पर:
- परमाणु नीति की समीक्षा
- कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम को मज़बूत करना
- साइबर सुरक्षा और परमाणु सुरक्षा में निवेश
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर:
- नई Arms Control संधियों में भागीदारी
- परमाणु मुक्त क्षेत्रों का विस्तार
- परमाणु आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग
निष्कर्ष
हम “तीसरे परमाणु युग” में प्रवेश कर चुके हैं, जहां जोखिम सिर्फ हथियारों तक सीमित नहीं, बल्कि तकनीकी और राजनैतिक अस्थिरता भी शामिल हो चुकी है। भारत की नीति शांतिपूर्ण है, लेकिन वर्तमान स्थिति के अनुसार सतर्क रहना और परमाणु शक्ति का जिम्मेदार उपयोग ही समाधान है।
आपको क्या लगता है?
क्या आप मानते हैं कि तीसरा विश्व युद्ध संभव है? क्या वर्तमान वैश्विक राजनीति हमें उस ओर ले जा रही है?