Mohit Jain
Tansen Samaroh: ग्वालियर में चल रहे तानसेन समारोह के 101वें आयोजन के दूसरे दिन सायंकालीन बैठक में सुविख्यात सरोद वादक एवं पद्मविभूषण उस्ताद अमजद अली खान ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। वे अपने दोनों पुत्रों अमान अली खान और अयान अली खान के साथ मंच पर पहुंचे और सुरों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अमान और अयान ने की कार्यक्रम की शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत में सबसे पहले मंच पर अमान और अयान अली खान बंगश उपस्थित हुए। उन्होंने तानसेन की पावन भूमि पर प्रस्तुति देने को अपने जीवन का सौभाग्य और गर्व का क्षण बताया तथा श्रोताओं का अभिवादन किया।

राग श्री से हुआ सुरों का अनुष्ठान
प्रस्तुति के लिए राग श्री का चयन किया गया। आलाप में मद्धम से आरंभ करते हुए राग की गंभीरता और गरिमा को अत्यंत सधे और संयमित स्वर विन्यास में प्रस्तुत किया गया। इसके बाद झपताल में दो सुसंयोजित बंदिशों ने लय, ताल और सुरों का अद्भुत संगम रचा।
ताल और सुरों में डूबे श्रोता
झपताल के बाद द्रुत तीन ताल में प्रस्तुत बंदिश ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक भाव से भर दिया। श्रोता तन्मय होकर संगीत रस में डूबते चले गए और सभागार तालियों से गूंज उठा।
तबला संगत ने बढ़ाया आकर्षण
प्रस्तुति में फर्रुखाबाद घराने के प्रसिद्ध तबला वादक अनिंदो चटर्जी के पुत्र अनुब्रत चटर्जी ने सशक्त संगत दी। साथ ही भोपाल के युवा और प्रतिभाशाली तबला वादक रामेंद्र सिंह सोलंकी ने भी तबले पर संगत कर प्रस्तुति को और प्रभावशाली बनाया।
मंच से भावुक हुए उस्ताद अमजद अली खान
मंच से संवाद करते हुए उस्ताद अमजद अली खान ने कहा कि वे अच्छे हों या बुरे, लेकिन ग्वालियर के हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें तानसेन समारोह में बारह वर्ष बाद प्रस्तुति का अवसर मिला, जिसकी उन्हें थोड़ी शिकायत भी है। उन्होंने मुख्यमंत्री और कलेक्टर रुचिका चौहान का आभार व्यक्त किया।

हर साल परिवार की मौजूदगी की जताई इच्छा
उस्ताद अमजद अली खान ने इच्छा व्यक्त की कि उनके परिवार से हर वर्ष कोई न कोई कलाकार तानसेन समारोह के पहले दिन उपस्थित होकर प्रस्तुति दे।
भक्ति रचनाओं से बंधा समां
इसके बाद उन्होंने मियां तानसेन की परंपरा का स्मरण करते हुए वैष्णव जन तो तेने कहिए, रघुपति राघव राजा राम और वंदे मातरम की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। अंत में अमान अली खान और अयान अली खान के साथ संयुक्त वादन ने ऐसा समां बांधा कि श्रोता देर तक तालियां बजाते रहे।
श्रोताओं के उत्साह से अभिभूत हुए उस्ताद
उस्ताद अमजद अली खान ने कहा कि श्रोताओं का जोश देखकर मन करता है कि पूरी रात बजाते रहें, लेकिन समारोह में अन्य कलाकारों की प्रस्तुतियां भी शेष हैं। उनकी यह प्रस्तुति तानसेन समारोह की स्मरणीय संध्याओं में शामिल हो गई।





