BY: Yoganand Shrivastva
राजगढ़ (महाराष्ट्र): महाराष्ट्र के राजगढ़ जिले के पनवेल के तक्का गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। शनिवार सुबह फुटपाथ पर एक टोकरी में रखी नवजात बच्ची मिली, जिसकी उम्र महज दो से तीन दिन बताई जा रही है। बच्ची के साथ एक पत्र भी रखा हुआ था, जिसमें माता-पिता ने अपनी मजबूरी जाहिर करते हुए उसे छोड़ने की बात लिखी है।
राहगीरों को सुनाई दी रोने की आवाज
सुबह के वक्त कुछ राहगीरों ने जब फुटपाथ पर रखी टोकरी से बच्चे के रोने की आवाज सुनी, तो उन्हें शक हुआ। पास जाकर देखा तो एक मासूम बच्ची कपड़ों में लिपटी हुई थी। बच्ची के साथ एक हाथ से लिखा पत्र भी रखा गया था, जिसमें साफ तौर पर लिखा था कि वे लोग बच्ची की देखभाल करने में असक्षम हैं।
पत्र में क्या लिखा था?
इस पत्र में अंग्रेजी में लिखा गया:
“सर, कृपया हमें माफ कीजिए। हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था। हम इस बच्ची का पालन-पोषण करने की स्थिति में नहीं हैं – न आर्थिक रूप से, न मानसिक रूप से। हम नहीं चाहते कि यह बच्ची भी हमारी ही तरह कष्ट झेले। कृपया किसी को दोष न दें। हम इसके आसपास ही हैं। आप इसका ध्यान रखें।”
पत्र से प्रतीत होता है कि बच्ची को छोड़ने वालों ने बहुत सोच-समझकर यह कदम उठाया, लेकिन मजबूरी और लाचारी उन्हें ऐसा करने पर विवश कर गई।
बच्ची स्वस्थ, अस्पताल में है भर्ती
सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची स्थानीय पुलिस ने तुरंत बच्ची को पनवेल उपजिला अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों की जांच में पता चला कि बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है। पुलिस अब बच्ची को रायगढ़ जिला प्रशासन के सुपुर्द करने की तैयारी कर रही है।
अनाथाश्रम भेजी जा सकती है बच्ची
संभावना है कि बच्ची को जल्द ही अलीबाग स्थित अनाथाश्रम में शिफ्ट किया जाएगा, जहां उसकी उचित देखरेख और सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
माता-पिता की तलाश में जुटी पुलिस
पुलिस ने अज्ञात माता-पिता के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय सूत्रों की मदद से उनकी पहचान करने में जुटी है। इस बात की भी जांच की जा रही है कि क्या वे पास ही के किसी इलाके में रहते हैं।
सामाजिक पहलू पर उठे सवाल
यह घटना न सिर्फ मजबूरी की कहानी बयां करती है, बल्कि समाज के सामने एक बड़ा सवाल भी रखती है – आखिर क्यों आज भी लोग इतनी कठिन परिस्थिति में जी रहे हैं कि उन्हें अपनी संतान को छोड़ने जैसा कठोर कदम उठाना पड़ता है?