BY: Yoganand Shrivastva
सीतापुर, उत्तर प्रदेश – चर्चित पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी हत्याकांड से जुड़े दोनों आरोपियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया है। यह एनकाउंटर पिसावा थाना क्षेत्र के जल्लापुर गांव में देर रात एसटीएफ, क्राइम ब्रांच और स्थानीय पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में हुआ।
एनकाउंटर में मारे गए दोनों शूटर
मारे गए शूटरों की पहचान राजू तिवारी उर्फ रिजवान और संजय तिवारी उर्फ शिब्बू उर्फ शकील खान के रूप में हुई है। ये दोनों सीतापुर के अटवा गांव, थाना मिसरिख के निवासी थे और राघवेंद्र वाजपेयी की हत्या के बाद से फरार चल रहे थे। पुलिस ने दोनों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।
सूत्रों के मुताबिक, मुठभेड़ में दोनों बदमाश गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें तत्काल सीएचसी पहुंचाया गया, जहां से सीतापुर जिला अस्पताल रेफर किया गया। इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई।
राघवेंद्र वाजपेयी की हत्या की पृष्ठभूमि
यह मामला 8 मार्च 2025 का है, जब दोपहर करीब दो बजे पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी को एक फोन कॉल आया और वे घर से निकले। एक घंटे बाद ही उनकी गोलियों से छलनी लाश मिलने की सूचना सामने आई। शुरू में यह मामला अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया था, लेकिन स्थानीय पुलिस को कोई ठोस सुराग नहीं मिला। इसके बाद जांच स्पेशल टास्क फोर्स (STF) को सौंपी गई।
जांच में खुला सनसनीखेज राज
जैसे-जैसे एसटीएफ की जांच आगे बढ़ी, इस हत्या की गंभीर साजिश सामने आई। जांच में पता चला कि इस हत्या का मास्टरमाइंड कोई और नहीं बल्कि कार्यदेव मंदिर का पुजारी, विकास राठौर उर्फ शिवानंद बाबा था।
जानकारी के अनुसार, शिवानंद बाबा मंदिर में रह रहे नाबालिग लड़कों के यौन शोषण में लिप्त था। पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी को इसकी भनक लग चुकी थी और वे इस गंभीर खुलासे पर काम कर रहे थे। इस बात से डरे बाबा शिवानंद ने अपनी इज्जत और गिरफ्तारी के डर से राघवेंद्र को रास्ते से हटाने की योजना बनाई।
पुलिस के अनुसार, बाबा ने 4 लाख रुपये की सुपारी देकर दो शार्प शूटरों को पत्रकार की हत्या के लिए तैयार किया था। यह पूरी साजिश बेहद सुनियोजित ढंग से रची गई थी।
पुलिस की कार्रवाई और अगला कदम
एसटीएफ ने लगातार तकनीकी निगरानी, मुखबिरों और जमीन स्तर पर जांच के जरिए दोनों हत्यारों को ट्रैक किया। आखिरकार देर रात पिसावा क्षेत्र में उनका एनकाउंटर हुआ, जिसमें दोनों ढेर हो गए।
अब पुलिस की अगली चुनौती मुख्य साजिशकर्ता शिवानंद बाबा के खिलाफ केस को मजबूत करना और उसके काले कारनामों की तह तक पहुंचना है।