मध्य प्रदेश सरकार ने उज्जैन में 2028 के सिंहस्थ के लिए तैयारी तेज कर दी है। इस बार क्षिप्रा नदी के किनारे 29 किलोमीटर लंबा रिवर फ्रंट कॉरिडोर विकसित किया जाएगा ताकि करोड़ों श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में इस विशाल परियोजना का भूमि पूजन किया, जो सिंहस्थ 2028 को पिछले सभी सिंहस्थ से अलग बनाएगा।
सिंहस्थ 2028: क्या है योजना?
- 29 किलोमीटर लंबे घाट निर्माण: क्षिप्रा नदी के किनारे 864 करोड़ रुपए की लागत से घाटों का निर्माण होगा।
- 21 स्टॉप बैराज का निर्माण: नदी के प्रवाह को बनाए रखने के लिए कई स्टॉप डेम बनाए जाएंगे।
- स्नान क्षमता बढ़ाई जाएगी: 24 घंटे में लगभग 5 करोड़ श्रद्धालु नदी में स्नान कर सकेंगे।
- मेट्रो ट्रेन का कनेक्शन: सिंहस्थ से पहले उज्जैन तक मेट्रो ट्रेन सेवा शुरू की जाएगी।
भूमि पूजन कार्यक्रम की खास बातें
भूमि पूजन कार्यक्रम अंगारेश्वर महादेव मंदिर के पास आयोजित किया गया, जहां मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रोच्चार के साथ भूमि पूजन किया। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वर्चुअल भूमि पूजन करवाने की इच्छा जताई, लेकिन पीएम मोदी ने खुद इस पवित्र कार्य के लिए उज्जैन आने का सुझाव दिया।
घाटों की खासियत
- घाटों का निर्माण शनि मंदिर से शुरू होकर सिद्धवट मंदिर, भर्तृहरि गुफा, अंगारेश्वर मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, राम घाट, दत्त अखाड़ा, नृसिंह घाट, गुरुद्वारा घाट, भूखी माता, गौ घाट, प्रशांति धाम, त्रिवेणी संगम और कान्हा नदी के दोनों ओर किया जाएगा।
- रेड स्टोन से निर्मित घाट: ये घाट लाल पत्थर से बनाए जाएंगे, जो उनकी सुंदरता और मजबूती को बढ़ाएंगे।
- सुविधाएं: प्रत्येक घाट पर पूजा के लिए चबूतरे, आकर्षक लाइटिंग, चेंजिंग रूम, पीने का पानी और दिव्यांगों के लिए रैंप की व्यवस्था होगी।
- घाट की चौड़ाई 5 मीटर, सीढ़ियों की चौड़ाई लगभग 3.5 मीटर और प्लेटफॉर्म की चौड़ाई 6 मीटर होगी।
सिंहस्थ 2028: क्या खास होगा?
- घाटों की बेहतर व्यवस्था के कारण भारी संख्या में श्रद्धालुओं को आरामदायक और सुरक्षित स्नान की सुविधा मिलेगी।
- मेट्रो ट्रेन सेवा से यातायात और भी सुगम होगा।
- नदी के प्रवाह को बनाए रखने के लिए किए जा रहे प्रयासों से प्राकृतिक संतुलन भी कायम रहेगा।
- पूरे आयोजन में पर्यावरण संरक्षण का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा।
निष्कर्ष
सिंहस्थ 2028 के लिए हो रही ये तैयारियां उज्जैन को धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से और भी समृद्ध बनाएंगी। राज्य सरकार की यह योजना न केवल श्रद्धालुओं की सुविधा का ख्याल रखती है बल्कि उज्जैन के विकास में भी अहम भूमिका निभाएगी। सिंहस्थ 2028 वास्तव में एक भव्य, सुरक्षित और यादगार आयोजन होगा।
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