शांतनु नायडू, जो रतन टाटा के व्यक्तिगत सहायक के रूप में प्रसिद्ध हुए, वर्तमान में टाटा मोटर्स में जनरल मैनेजर और हेड ऑफ स्ट्रैटेजिक इनिशिएटिव्स के पद पर कार्यरत हैं। उनकी सामाजिक पहलों ने उन्हें एक विशेष पहचान दिलाई है।
प्रारंभिक जीवन और करियर की शुरुआत
शांतनु नायडू ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद टाटा समूह में अपने करियर की शुरुआत की। उनकी नवाचार और समाज सेवा के प्रति रुचि ने उन्हें रतन टाटा के करीब लाया। उन्होंने ‘मोटोपॉज़’ नामक एक पहल शुरू की, जो आवारा कुत्तों की सुरक्षा के लिए रिफ्लेक्टिव कॉलर प्रदान करती है। इस पहल ने रतन टाटा का ध्यान आकर्षित किया, जिन्होंने शांतनु को मुंबई बुलाकर उनके साथ काम करने का अवसर दिया।
रतन टाटा के साथ विशेष संबंध
2014 में, शांतनु ने रतन टाटा को अपनी पहल के बारे में लिखा, जिससे प्रभावित होकर टाटा ने उन्हें मुंबई आमंत्रित किया। इसके बाद, शांतनु ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से एमबीए किया और भारत लौटकर टाटा ट्रस्ट में कार्यभार संभाला। उनकी और रतन टाटा की मित्रता गहरी होती गई, जो उनकी पेशेवर यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है।
गुडफेलोज इंडिया: वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक पहल
शांतनु ने ‘गुडफेलोज इंडिया’ नामक संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को साथी प्रदान करना है। यह संगठन बुजुर्गों की अकेलेपन की समस्या का समाधान करने के लिए कार्यरत है, जिससे उन्हें समाज से जुड़ाव और सम्मान का अनुभव हो सके।
होली का उत्सव: पीढ़ियों का संगम
हाल ही में, शांतनु ने ‘गुडफेलोज इंडिया’ के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों के साथ होली का उत्सव मनाया। उन्होंने लिंक्डइन पर तस्वीरें साझा कीं, जिसमें बुजुर्ग रंगों के साथ उत्सव मना रहे हैं। उन्होंने इस पोस्ट को शीर्षक दिया, “उम्र की सीमाओं से परे रंग भरते हुए। गुडफेलोज इंडिया की ओर से एक खुशहाल अंतर-पीढ़ी होली।”
समाज सेवा में योगदान
शांतनु नायडू की ये पहलों से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की उनकी प्रतिबद्धता झलकती है। उनका कार्य रतन टाटा की विरासत को सम्मानित करता है और समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी को दर्शाता है।
शांतनु नायडू की कहानी हमें यह सिखाती है कि कैसे एक व्यक्ति की पहल समाज में बड़ा अंतर ला सकती है, और कैसे युवा पीढ़ी समाज सेवा के माध्यम से एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकती है।