संवाददाता – गौरव साहू
SECL कुसमुंडा क्षेत्र में अधिकारियों की ठेकेदार पर मेहरबानी एक बार फिर सुर्खियों में है। आरोप है कि बिना टेंडर निकाले ही एक विवादित ठेकेदार को लाखों रुपए का ठेका दे दिया गया। मामला कर्मचारियों के आवागमन के लिए बस लगाने का है, जिसे रिक्विजिशन के तहत स्वीकृत किया गया है।
बिना फिटनेस चेक लगी 13 साल पुरानी बस
जानकारी के अनुसार, E&M विभाग की मिलीभगत से एक 13 वर्ष पुरानी बस को खदान के अंदर कर्मचारियों को लाने-ले जाने के लिए लगा दिया गया। हैरानी की बात यह है कि बस की हालत बेहद खराब है। छत से पानी टपकने के बजाय धार की तरह गिरता है। बावजूद इसके SECL प्रबंधन लाखों रुपए खर्च कर अपने कर्मचारियों को यह सुविधा उपलब्ध करा रहा है, मगर गुणवत्ता और सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
ठेकेदार पर आंख मूंदकर भरोसा
जांच में पता चला कि यह ठेका के. अर्जुन मुखर्जी के नाम पर बना FRID से जुड़ा है। सवाल उठता है कि आखिर SECL अधिकारी बिना बस की फिटनेस और कंडीशन देखे ठेका क्यों मंजूर कर लेते हैं? कहीं न कहीं यह सीधे-सीधे अधिकारियों की ठेकेदार से सेटिंग और कथित “चढ़ावे” की ओर इशारा करता है।
अधिकारी ने जिम्मेदारी से झाड़ा पल्ला
इस मामले पर जब E&M विभाग के मुख्य अधिकारी प्रकाश नंदी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा – “जब कागज आए तो हमने साइन कर दिए। गाड़ी की फिटनेस चेक करना हमारा काम नहीं है।” उनके इस बयान ने सवाल और गहरे कर दिए हैं कि आखिर अगर अधिकारी जिम्मेदारी नहीं लेंगे तो कर्मचारियों की सुरक्षा और सुविधा का जिम्मा कौन उठाएगा?
ट्रेड यूनियन ने उठाई आपत्ति
SECL कुसमुंडा की इस कार्यप्रणाली पर ट्रेड यूनियन के नेताओं ने मौखिक रूप से आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि अधिकारी करोड़ों रुपए के काम बिना जांच-पड़ताल के मंजूर कर देते हैं, जिससे कर्मचारियों को बेहतर सुविधा नहीं मिल पा रही। अब देखना यह होगा कि इस मामले में SECL प्रबंधन क्या कार्रवाई करता है।