BY: Yoganand shrivastva
पुलिस ने एक ऐसे खतरनाक गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो बीमा क्लेम के लालच में अनाथ युवाओं की हत्या करता था। यह गिरोह पहले अनाथ या बेसहारा लोगों की बीमा पॉलिसी करवाता और फिर उनकी हत्या कर उसे एक्सीडेंट का रूप दे देता, ताकि बीमा राशि का क्लेम लिया जा सके।
गिरोह का तरीका: पहले बीमा, फिर निर्मम हत्या
यह था पूरा ‘खेल’:
- सबसे पहले गिरोह ऐसे लोगों को तलाशता जिनका कोई करीबी रिश्तेदार न हो – यानी अनाथ या अकेले रहने वाले युवा।
- उनसे दोस्ती कराई जाती और उनका जीवन बीमा (Life Insurance) कराया जाता।
- बीमा पॉलिसी में नामित लाभार्थी (Nominee) गिरोह का ही कोई सदस्य होता।
- कुछ समय बाद सुनियोजित तरीके से हत्या की जाती – सिर पर हथौड़े से वार कर या वाहन से कुचलकर।
- शव को सड़क किनारे फेंक दिया जाता ताकि हत्या को एक्सीडेंट दिखाया जा सके।
- इसके बाद बीमा कंपनी से लाखों रुपये की क्लेम राशि हासिल कर ली जाती थी।
कैसे हुआ खुलासा?
पुलिस को इस घिनौने अपराध का पता एक मोबाइल फोन की जांच के दौरान चला।
एक हत्या की जांच करते हुए जब पुलिस ने एक संदिग्ध के मोबाइल की पड़ताल की, तो उसमें बीमा पॉलिसी से जुड़ी फाइलें और दस्तावेज मिले।
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, पूरा नेटवर्क सामने आ गया।
अब तक की घटनाएं: दो हत्याएं, तीसरी की तैयारी
पहली हत्या:
- आरोपी ने पहले पीड़ित को शराब पिलाई, फिर सिर पर वार कर उसकी हत्या कर दी।
- शरीर के किसी अन्य हिस्से पर चोट का कोई निशान नहीं था।
- इससे शक हुआ कि मामला एक्सीडेंट नहीं, हत्या का है।
दूसरी हत्या:
- पीड़ित को वाहन से कुचल दिया गया।
- शुरुआत में मामला सड़क दुर्घटना जैसा लगा, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में संदेह बढ़ा।
तीसरी हत्या की प्लानिंग:
- गिरोह एक और व्यक्ति को निशाना बना रहा था, जिसकी बीमा पॉलिसी पहले ही करा दी गई थी।
- पुलिस ने समय रहते इसे रोक लिया।
क्यों बनते थे अनाथ युवा शिकार?
गिरोह के सदस्य जान-बूझकर ऐसे युवाओं को टारगेट करते थे:
- जिनका कोई वारिस या परिवार न हो
- जो बेरोजगार, अकेले या मानसिक रूप से कमजोर हों
- जिनका बीमा करवाना आसान हो और प्रीमियम कम लगे
- जिनके नाम पर क्लेम 5-10 लाख रुपये या उससे अधिक तक का मिल सके
बीमा कंपनियों की लापरवाही भी बनी कारण
- नॉमिनी को लेकर ज़्यादा सक्रिय सत्यापन नहीं किया गया।
- एक्सीडेंट के मामलों में पुलिस रिपोर्ट के आधार पर ही क्लेम मंजूर कर दिया गया।
क्या कहती है पुलिस?
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक:
“यह अपराध बेहद खतरनाक और सुनियोजित था। गिरोह बहुत ही चालाकी से अपने टारगेट का चयन करता और हत्या को एक्सीडेंट में बदल देता। यह सिर्फ बीमा फ्रॉड नहीं, बल्कि पूर्व नियोजित हत्या है, जिसकी सजा बेहद सख्त होनी चाहिए।”