BY: Yoganand Shrivastva
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने साधु-संतों को बाबा साहब भीमराव आंबेडकर पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से परहेज करने की सलाह दी है। उनका कहना है कि बाबा साहब के योगदान की सही जानकारी के बिना बयानबाजी करना अनुचित है।
सोशल मीडिया पर साझा किया बयान
मायावती ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा,
“विवादित बयान देकर सुर्खियों में बने रहने वाले कुछ साधु-संतों को यह समझना चाहिए कि उन्हें डॉ. भीमराव आंबेडकर के भारतीय संविधान के निर्माण में दिए गए अतुलनीय योगदान की सही जानकारी नहीं है। ऐसे में गलत बयान देने के बजाय चुप रहना बेहतर होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि बाबा साहब के अनुयायी मनुस्मृति का विरोध क्यों करते हैं, इसे जातिवादी मानसिकता छोड़कर समझना जरूरी है।
“आंबेडकर की विद्वता के सामने कोई नहीं”
मायावती ने साधु-संतों को सलाह देते हुए कहा,
“डॉ. आंबेडकर महान विद्वान थे, और उनकी विद्वता के सामने साधु-संत कुछ भी नहीं हैं। इसलिए उन पर टिप्पणी करने से पहले संयम बरतना ही सही होगा।”
हालांकि मायावती ने अपने बयान में किसी साधु-संत का नाम नहीं लिया।
सांप्रदायिक तनाव फैलाने पर चिंता
इससे पहले भी मायावती ने विभिन्न धर्मों के पूजास्थलों और महापुरुषों का अपमान करके माहौल खराब करने की राजनीतिक साजिश पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि देश में अमन-चैन कायम रखने के लिए सभी सरकारों को सांप्रदायिक और द्वेषपूर्ण राजनीति छोड़कर ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।
पार्टी मुख्यालय में अहम बैठक
बसपा प्रमुख ने पार्टी मुख्यालय पर आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने की रणनीति पर चर्चा की। उन्होंने जिलों से लेकर बूथ स्तर तक समितियों के गठन की समीक्षा की। बैठक में मायावती ने कहा कि सभी सरकारों को कानून का राज स्थापित करना चाहिए ताकि लोग शांति से अपनी आजीविका चला सकें और बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकें।





