अंतागढ़ से रिपोर्टर: जावेद खान
अंतागढ़ ओवरब्रिज के नीचे बनी सड़क और निकासी की व्यवस्था
अंतागढ़ क्षेत्र वैसे तो खनिज संसाधनों की दृष्टि से समृद्ध है, लेकिन विडंबना यह है कि इन संसाधनों के दोहन के बावजूद स्थानीय लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए आज भी जूझना पड़ रहा है। हालात यह हैं कि बारिश के समय यहां की सड़कें कीचड़ और पानी से लबालब हो जाती हैं, और जगह-जगह बने गड्ढों में पानी भर जाता है जिससे आवागमन मुश्किल हो जाता है।
ओवरब्रिज के नीचे जलजमाव बना मुसीबत
हम बात कर रहे हैं अंतागढ़ के नजदीकी गांव कुहचे की, जहां रेलवे प्रबंधन द्वारा बनाए गए ओवरब्रिज के नीचे पानी निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण जलभराव की गंभीर समस्या बन गई है। इससे यहां से गुजरने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
तीन करोड़ से बनी सड़क पहली बारिश में ही ढही
रेलवे स्टेशन से अंतागढ़ तक की सड़क भी जर्जर हालत में है। इस एक किलोमीटर की सड़क को बीएसपी प्रबंधन के ठेकेदार ने करीब तीन करोड़ चार लाख रुपए की लागत से बनवाया था। लेकिन पहली ही बारिश ने ठेकेदार की कार्यशैली की पोल खोल दी। आज यह सड़क जगह-जगह से उखड़ चुकी है और उसमें गड्ढे तथा कीचड़ भर चुके हैं, जिससे लोग बड़ी मुश्किल से अपने घर और रेलवे स्टेशन तक आ-जा पा रहे हैं।
रोजाना सैकड़ों वाहन और ग्रामीण इस मार्ग से करते हैं आवागमन
गौरतलब है कि इसी ओवरब्रिज के पास अंतागढ़ रेलवे स्टेशन स्थित है और इस पुल के नीचे से रोजाना सैकड़ों लौह अयस्क से लदे भारी वाहन गुजरते हैं। साथ ही पुल के उस पार स्थित करीब दस पंचायतों के ग्रामीण इसी मार्ग से अंतागढ़ ब्लॉक मुख्यालय पहुंचते हैं। बारिश के समय यहां का रास्ता जलकुंड में तब्दील हो जाता है, जिससे आवागमन बुरी तरह प्रभावित होता है।
सांसद भोजराज नाग की फटकार के बाद हरकत में आया रेलवे
लोगों की परेशानी चरम पर पहुंचने पर उन्होंने हाल ही में चक्का जाम कर विरोध दर्ज कराया। यह खबर जब कांकेर सांसद भोजराज नाग तक पहुंची तो उन्होंने रेलवे प्रबंधन को जमकर फटकार लगाई। सांसद की फटकार का असर यह हुआ कि रेलवे प्रबंधन हरकत में आया और तुरंत ओवरब्रिज के नीचे पानी निकासी की व्यवस्था शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही अब वहां पक्की सड़क का निर्माण भी कराया जा रहा है।





