BY: Yoganand Shrivastva
तरनतारन, पंजाब | तीन दशक से भी पुराने एक बहुचर्चित फर्जी एनकाउंटर केस में आखिरकार इंसाफ हुआ। तरनतारन जिले में वर्ष 1993 में हुए कथित फर्जी मुठभेड़ के मामले में CBI की विशेष अदालत ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अदालत ने इस मामले में दोषी पाए गए पंजाब पुलिस के 5 पूर्व अधिकारियों को आजीवन कारावास की सजा दी है।
इन पुलिस अधिकारियों को मिली सजा
सजा पाने वालों में प्रमुख रूप से पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) भूपेंद्रजीत सिंह और पूर्व उप अधीक्षक (DSP) दविंदर सिंह शामिल हैं। इनके अलावा तीन अन्य रिटायर्ड पुलिस अफसरों को भी दोषी करार दिया गया है। इन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चला।
केस की पृष्ठभूमि
इस मामले में आरोप था कि 1993 में सात युवकों की हत्या एक फर्जी मुठभेड़ के दौरान की गई थी। शुरुआत में इस केस में कुल 10 पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाया गया था। लेकिन लंबे चले मुकदमे के दौरान 5 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जिसके चलते सिर्फ 5 पर ही ट्रायल पूरा हो सका।
अदालत ने क्या कहा?
CBI अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि मामले में पीड़ितों को न्याय मिलने में भले ही तीन दशक लगे, लेकिन कानून की नजर में ऐसे अपराधों को छोड़ा नहीं जा सकता। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि कानून के रक्षक जब खुद ही अपराध करने लगें, तो उसका असर समाज की न्याय व्यवस्था पर गहरा पड़ता है।