BY: Yoganand Shrivastva
महाराष्ट्र: इस साल मानसून ने सामान्य समय से पहले ही महाराष्ट्र में दस्तक दे दी है, लेकिन यह बारिश राहत की जगह आफत बनकर आई। बीते कुछ दिनों में राज्य के कई जिलों में तेज़ बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं। इसके साथ ही किसानों की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है, जिससे वे बेहद परेशान और हताश हैं।
फसल कटाई से पहले ही बर्बाद हुई मेहनत
राज्य के लातूर जिले में हुई मूसलाधार बारिश ने किसानों की टमाटर और प्याज की फसल को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। खेतों में तैयार खड़ी फसल बारिश की मार से पूरी तरह बर्बाद हो गई। खेतों में पानी भर जाने से सब्जियों, फलों और पत्तेदार सब्जियों की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक असर पड़ा है। स्थानीय किसान तुकाराम चालवाड़ की 2 एकड़ में टमाटर और 1 एकड़ में प्याज की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई।
मदद के लिए सरकार से गुहार
किसान तुकाराम का कहना है कि उन्होंने इन फसलों पर करीब 2.5 लाख रुपये खर्च किए थे, लेकिन अब पूरी मेहनत बर्बाद हो गई है। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि जल्द से जल्द पंचनामा कर आर्थिक सहायता दी जाए ताकि वे खरीफ सीज़न की बुवाई के लिए तैयार हो सकें। उनका कहना है कि अगर समय रहते मदद नहीं मिली तो वे अगली फसल की तैयारी नहीं कर पाएंगे।
किसान संगठनों ने जताया रोष
इस मुद्दे को लेकर क्रांतिकारी किसान संगठन ने भी सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। संगठन ने सरकार से स्पष्ट कहा है कि वह जल्द से जल्द क्षति का आकलन कर किसानों को मुआवजा दे, वरना राज्यभर में आंदोलन छेड़ा जाएगा। संगठन के मुताबिक, मौसम की मार झेल रहे किसानों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मानसून की असामयिक दस्तक बनी परेशानी का कारण
इस साल मानसून ने सामान्य तारीख से करीब 15 दिन पहले महाराष्ट्र में प्रवेश किया, जिसकी वजह से तेज़ बारिश ने कई इलाकों में तबाही मचा दी। सड़कें जलमग्न हैं, जनजीवन बाधित हुआ है और खेतों में खड़ी फसलें नष्ट हो चुकी हैं। यह स्थिति न केवल किसानों की आजीविका के लिए खतरा बनी है बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था पर भी असर डाल सकती है।