BY: Yoganand Shrivastva
प्रयागराज – रविवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जो हुआ, उसने पूरे शहर को दहशत में डाल दिया। भीम आर्मी प्रमुख और सांसद चंद्रशेखर आज़ाद को कौशांबी जाते वक्त पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद बवाल इतना बढ़ा कि सड़कों पर दो घंटे तक तांडव मचा रहा। आक्रोशित समर्थकों ने पुलिस और आम जनता दोनों को निशाना बनाया, जिससे शहर के करछना क्षेत्र में हालात युद्ध जैसे बन गए।
दो घंटे तक चला उपद्रव, पुलिस बनी दर्शक
करछना के भड़ेवरा बाजार में दोपहर 3:30 बजे के बाद हालात बेकाबू हो गए। भीड़ ने पुलिस की गाड़ियों पर पथराव, डायल 112 की गाड़ी पलट दी, रोडवेज की बसों और दर्जनों दोपहिया वाहनों को आग के हवाले कर दिया। ईंट-पत्थरों की बारिश इतनी तेज थी कि वहां तैनात पुलिसकर्मी मौके से भाग खड़े हुए।
लोगों के मुताबिक, सड़कें रणक्षेत्र में तब्दील हो गई थीं। भगदड़ में कई राहगीर घायल हुए। सरकारी और निजी संपत्ति को बर्बरता से नुकसान पहुंचाया गया।
हाउस अरेस्ट बना विवाद की जड़
दरअसल, सांसद चंद्रशेखर आज़ाद प्रयागराज होते हुए कौशांबी जा रहे थे। पुलिस ने उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया और आगे बढ़ने से रोक दिया। इसी से नाराज़ समर्थकों का गुस्सा फूट पड़ा और देखते ही देखते भीड़ हिंसक हो गई।
प्रशासन का एक्शन मोड ऑन
बवाल की सूचना मिलते ही एडिशनल सीपी (अपराध) डॉ. अजयपाल शर्मा भारी पुलिस बल और पीएसी के साथ मौके पर पहुंचे। काफी मशक्कत के बाद शाम 5:30 बजे तक भीड़ को तितर-बितर किया जा सका। अब तक की पुलिस कार्रवाई में भीम आर्मी के 20 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है।
पुलिस अब सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल वीडियो और चश्मदीदों के बयान के जरिए उपद्रवियों की पहचान कर रही है। प्रशासन का कहना है कि दोषियों पर NSA और गैंगस्टर एक्ट की धाराएं लगाई जाएंगी। साथ ही सरकारी संपत्ति के नुकसान की भरपाई आरोपियों से वसूली जाएगी।
राजनीति और कानून के टकराव में जला शहर
यह घटना एक बार फिर इस सवाल को उठाती है कि जब राजनीतिक और प्रशासनिक फैसले आम जनता के बीच में फंसते हैं, तो सबसे ज्यादा नुकसान जनजीवन और कानून व्यवस्था को होता है।