रिपोर्टर: आज़ाद सक्सेना
शांति की ओर एक मजबूत कदम
बस्तर के माओवादी प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा में अब बदलाव की एक नई शुरुआत देखी जा रही है। “पूना मारगेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन” — ये सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन चुका है। यह आत्मसमर्पण के बाद जीवन को सम्मान, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के साथ जीने का अवसर दे रहा है।
353 माओवादी लौटे समाज की ओर
पिछले 18 महीनों में 353 से अधिक माओवादी हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। “पूना मारगेम” यानी “नई राह की ओर” — इस योजना ने कई पूर्व नक्सलियों को न सिर्फ पुनर्वास का मौका दिया, बल्कि उन्हें समाज में फिर से आत्मसम्मान के साथ जीने की राह दिखाई।
पुनर्वास के ज़रिए आत्मनिर्भरता
पुनर्वास नीति के तहत:
- आत्मसमर्पित माओवादियों को कौशल विकास प्रशिक्षण मिल रहा है।
- उन्हें स्वरोजगार योजनाओं से जोड़ा जा रहा है।
- सरकार की ओर से आवास, आर्थिक सहायता और सुरक्षा दी जा रही है।
- सामाजिक पुनर्स्थापन के लिए समुदाय का समर्थन भी लगातार बढ़ रहा है।
एसपी गौरव राय का संदेश
दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक गौरव राय ने माओवादियों से भावुक अपील की है कि वे हिंसा का रास्ता छोड़ें और समाज की मुख्यधारा से जुड़ें। उन्होंने कहा कि “पुनर्वास नीति–2025 उनके लिए एक नया भविष्य लेकर आई है। समय आ गया है कि दंतेवाड़ा को एक शांतिपूर्ण और समृद्ध जिला बनाया जाए।”
पूना मारगेम: आशा की नई किरण
“पूना मारगेम” आज दंतेवाड़ा में न केवल आत्मसमर्पण की नीति बन चुका है, बल्कि यह एक नई सोच और सकारात्मक बदलाव का प्रतीक बन गया है। यह उन लोगों के लिए नई उम्मीद है जो अपने बीते कल से आगे बढ़कर बेहतर कल की तलाश में हैं।