प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 जुलाई से ब्रिटेन और मालदीव की द्विपक्षीय यात्रा पर हैं। यह दौरा भारत के व्यापार, रक्षा, शिक्षा और तकनीकी सहयोग को एक नए स्तर तक ले जाने के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। पीएम मोदी की यह यात्रा न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिहाज से खास है, बल्कि इससे भारत की ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ नीति को भी मजबूती मिलेगी।
ब्रिटेन यात्रा: व्यापार और रणनीतिक साझेदारी पर फोकस
प्रधानमंत्री मोदी 23-24 जुलाई को ब्रिटेन दौरे पर हैं। इस दौरान वह ब्रिटिश प्रधानमंत्री केयर स्टार्मर से उनके सरकारी निवास चेकर्स में विस्तृत बातचीत करेंगे। इसके अलावा, राजा चार्ल्स तृतीय से भी उनकी मुलाकात तय है।
यात्रा की मुख्य बातें:
- भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (FTA) अंतिम चरण में है।
- वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और उनके ब्रिटिश समकक्ष जोनाथन रेनॉल्ड्स इस पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।
- दोनों देशों के बीच शिक्षा, तकनीक, और सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाया जाएगा।
शिक्षा में नई पहल:
- साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय ने गुरुग्राम में अपना परिसर शुरू किया है, जो भारत की नई शिक्षा नीति के तहत पहला विदेशी संस्थान बना।
- अन्य ब्रिटिश विश्वविद्यालय भी भारत में अपने कैंपस खोलने की योजना बना रहे हैं।
तकनीकी साझेदारी के क्षेत्र:
- टेक्नोलॉजी सिक्योरिटी इनिशिएटिव (TSI) के तहत AI, बायोटेक, क्वांटम कंप्यूटिंग और टेलीकॉम में सहयोग पर चर्चा होगी।
मालदीव दौरा: पड़ोसी नीति और महासागर विजन को मिलेगी धार
प्रधानमंत्री मोदी 25-26 जुलाई को मालदीव की आधिकारिक यात्रा करेंगे। वे मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे।
यात्रा का कार्यक्रम:
- 26 जुलाई को मोदी मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे।
- यह राष्ट्रपति मुइज्जू के कार्यभार संभालने के बाद किसी भी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष की पहली राजकीय यात्रा होगी।
रणनीतिक महत्व:
- मालदीव भारत की ‘पड़ोसी प्रथम नीति’ और ‘महासागर विजन’ का अहम हिस्सा है।
- दोनों देशों ने पिछले साल समग्र आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी का खाका तैयार किया था।
क्यों खास है यह दौरा भारत के लिए?
- भारत-UK FTA से नौकरी, निवेश और निर्यात को मिलेगा नया आयाम।
- शिक्षा और तकनीक में विदेशी निवेश और स्किल एक्सचेंज बढ़ेगा।
- मालदीव के साथ मजबूत होते रिश्ते से हिंद महासागर में रणनीतिक स्थिति मजबूत होगी।
- क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा में भारत की सक्रिय भूमिका को मिलेगी वैश्विक मान्यता।
भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका का प्रतीक
पीएम मोदी की यह यात्रा केवल द्विपक्षीय वार्ताओं का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह भारत की उभरती वैश्विक शक्ति के रूप में पहचान को और मजबूत करने वाला कदम है। ब्रिटेन के साथ व्यापार और शिक्षा में नया अध्याय खुलने जा रहा है, वहीं मालदीव में भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति को नई धार मिलेगी।