प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक और बड़ी मान्यता मिली है। साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने पीएम मोदी को देश का सर्वोच्च सम्मान “ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III” प्रदान किया। यह पुरस्कार पीएम मोदी की वैश्विक नेतृत्व क्षमता और भारत की बढ़ती ताकत का प्रतीक बन गया है।
अब तक 23 देशों से सम्मान
पीएम मोदी को यह सम्मान ऐसे समय मिला है जब वे भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूत कर रहे हैं। अब तक उन्हें 23 से अधिक देशों से सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार मिल चुके हैं—यह भारत की बढ़ती कूटनीतिक साख का प्रमाण है।
लिमासोल में बिजनेस सम्मेलन में भारत की ताकत का प्रदर्शन
साइप्रस के लिमासोल शहर में आयोजित बिजनेस गोलमेज सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने भारत की प्रगति को रेखांकित किया। उन्होंने कहा:
“भारत बहुत जल्द दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। यह दशक भारत में परिवर्तन का दशक है।”
सम्मेलन में साइप्रस के राष्ट्रपति भी मौजूद थे, जिससे द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा मिली।
भारत की आर्थिक विकास यात्रा: क्या कहा पीएम मोदी ने
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की आर्थिक कहानी को नीति-निर्माण में स्थिरता, डिजिटल क्रांति, और बड़ी सुधार योजनाओं के ज़रिए दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा:
- भारत आज विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है
- जल्द ही तीसरे स्थान पर पहुंचने की दिशा में अग्रसर
- जीएसटी, कॉरपोरेट टैक्स में कटौती, और कानूनों का सरलीकरण जैसे कदम भारत की छवि बदल रहे हैं
- दुनिया में भारत की डिजिटल ताकत को मान्यता मिल रही है
भारत-साइप्रस संबंधों में होगा और गहराई
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत और साइप्रस के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं:
- व्यापार और निवेश
- डिजिटल भुगतान और फिनटेक
- पर्यटन और स्टार्टअप सहयोग
- रक्षा और लॉजिस्टिक्स
उन्होंने कहा कि आज दुनिया का 50% डिजिटल ट्रांजेक्शन भारत में होता है, जिसका श्रेय UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) को जाता है।
NPCI और यूरोबैंक साइप्रस के बीच हुआ समझौता
भारत के NPCI इंटरनेशनल और Eurobank Cyprus के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। इससे दोनों देशों के बीच सीमापार डिजिटल भुगतान प्रणाली और मजबूत होगी।
भारत की अंतरराष्ट्रीय पहचान और डिजिटल शक्ति को मान्यता
साइप्रस का सर्वोच्च सम्मान पीएम मोदी को मिलना केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि यह भारत की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक है। यह सम्मान भारत की आर्थिक शक्ति, नीतिगत स्थिरता और डिजिटल क्षमताओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सशक्त रूप से प्रस्तुत करता है।





