झारखंड के पलामू ज़िले में ग्रेड-4 पदों की भर्ती प्रक्रिया पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर द्वारा भर्ती में गड़बड़ी की आशंका जताए जाने के बाद यह निर्णय लिया गया।
📌 क्यों लगी भर्ती पर रोक?
झारखंड सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अनुसार, वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में ग्रेड-4 भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए।
- उन्होंने शनिवार को मुख्य सचिव अलका तिवारी से फोन पर बात की।
- इसके बाद वे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिले और भर्ती प्रक्रिया में नियमों की कमी और संभावित अनियमितताओं पर चर्चा की।
⚖️ बिहार के नियम झारखंड में क्यों नहीं?
वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि पलामू में ग्रेड-4 की पिछली भर्तियाँ लिखित परीक्षा के आधार पर हुई थीं, जबकि इस बार अंक आधारित चयन का तरीका अपनाया गया है।
उन्होंने कहा:
“यह भर्ती अभी भी पुराने, बिहार के समय के नियमों के अनुसार की जा रही है। लेकिन अब झारखंड को अपने युवाओं की जरूरतों और आकांक्षाओं को ध्यान में रखकर नियम बनाने चाहिए।”
📢 सीएम का एक्शन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जब तक राज्य सरकार इस संबंध में एक नई और पारदर्शी भर्ती नीति नहीं बना लेती, तब तक पलामू में ग्रेड-4 की भर्ती प्रक्रिया तुरंत प्रभाव से रोकी जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि:
- हर जिले के स्थानीय युवाओं को रोजगार में उचित अवसर मिलना चाहिए।
- भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए।
📊 क्यों है यह मुद्दा महत्वपूर्ण?
✅ रोजगार की उम्मीदें
झारखंड में बड़ी संख्या में युवा सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में किसी भी तरह की अनियमितता उनके भविष्य को प्रभावित कर सकती है।
✅ पारदर्शिता की जरूरत
पिछले कुछ वर्षों में झारखंड में कई भर्ती प्रक्रियाएं विवादों में रही हैं। नई नीति के तहत पारदर्शिता सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है।
📣 आगे क्या?
- राज्य सरकार जल्द ही ग्रेड-4 भर्ती के लिए एक राज्य-स्तरीय नीति तैयार करेगी।
- इस नीति में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता, लिखित परीक्षा, और मेरिट आधारित चयन को शामिल किए जाने की संभावना है।
📌 निष्कर्ष
पलामू की ग्रेड-4 भर्ती पर रोक केवल एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि राज्य के युवाओं की उम्मीदों और पारदर्शी प्रशासन की दिशा में एक अहम कदम है। आने वाले समय में यदि राज्य सरकार एक स्पष्ट और निष्पक्ष भर्ती नीति बनाती है, तो यह पूरे झारखंड के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है।