इजराइल और फिलिस्तीन का मुद्दा दशकों से दुनिया भर में बहस और संघर्ष का कारण रहा है। लेकिन आज जब ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर है, तब 40 साल पहले महान दार्शनिक ओशो की कही बातें एक बार फिर चर्चा में हैं। ओशो ने इजराइल के भविष्य और उसके निर्माण को लेकर जो चेतावनी दी थी, वो कहीं न कहीं आज सच होती नजर आ रही है।
ओशो ने क्या कहा था इजराइल के बारे में?
- ओशो का मानना था कि इजराइल का निर्माण एक राजनीतिक साजिश थी।
- उन्होंने कहा था कि अगर अमेरिका की मदद न हो, तो इजराइल तुरंत खत्म हो सकता है।
- ओशो ने यह भी कहा था कि अमेरिका और ब्रिटेन ने यहूदियों को जमीन देकर उनके साथ सबसे बड़ा धोखा किया, क्योंकि वो जमीन चारों तरफ से मुस्लिम देशों से घिरी हुई थी।
क्या इजराइल कभी मुस्लिम देश रहा है?
इतिहास पर नजर डालें तो वर्तमान इजराइल का क्षेत्र लंबे समय तक मुस्लिम बहुल रहा है। खासतौर पर यहां:
- फिलिस्तीन नाम से जाना जाता था।
- चारों ओर मुस्लिम देशों से घिरा हुआ यह क्षेत्र लंबे समय तक मुस्लिम शासकों के अधीन रहा।
- ओशो के अनुसार, हजारों साल पहले यहूदियों का यह क्षेत्र रहा होगा, लेकिन हजारों साल से यह मुसलमानों का देश रहा है।
इजराइल का आधुनिक इतिहास
पहला विश्व युद्ध और ब्रिटिश कब्जा
- 20वीं सदी की शुरुआत में यह इलाका ऑटोमन तुर्क साम्राज्य के अधीन था।
- पहले विश्व युद्ध के बाद तुर्की की हार हुई और ब्रिटेन ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।
संयुक्त राष्ट्र का दखल और दो राष्ट्र का प्रस्ताव
- 1945 में युद्ध समाप्ति के बाद ब्रिटेन ने यह इलाका संयुक्त राष्ट्र को सौंप दिया।
- 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव पास किया, जिसमें इस भूमि को दो हिस्सों में बांटने की बात कही गई:
- एक यहूदी राज्य (इजराइल)
- एक अरब राज्य (फिलिस्तीन)
- यरूशलम को अंतरराष्ट्रीय शहर घोषित कर दिया गया।
इजराइल की स्थापना और अरब देशों का हमला
- 14 मई 1948 को डेविड बेन गुरियन ने इजराइल की स्वतंत्रता की घोषणा की।
- 24 घंटे के भीतर अरब देशों ने हमला कर दिया।
- एक साल तक चले संघर्ष में इजराइल ने खुद को बचाया और 1949 में पहला लोकतांत्रिक चुनाव हुआ।
यहूदी समाज में भी इजराइल को लेकर विरोध
ओशो ने यह भी उल्लेख किया था कि:
- कट्टरपंथी यहूदी समुदाय ‘हसीद’ आज भी इजराइल राष्ट्र को नहीं स्वीकारते।
- उनका मानना है कि इजराइल तभी स्थापित होना चाहिए जब ‘मसीहा’ आए।
- ओशो खुद भी इजराइल के निर्माण के विरोधी रहे, क्योंकि उनका मानना था कि यह एक जबरदस्ती का निर्माण है।
अमेरिका और इजराइल का संबंध
- ओशो का स्पष्ट मानना था कि अमेरिका की मदद के बिना इजराइल का अस्तित्व मुश्किल है।
- उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा था कि अगर अमेरिका यहूदियों के लिए इतना ही दयालु है, तो उन्हें अमेरिका में ही ‘इजराइल’ बनाना चाहिए था, जैसे ओरेगन राज्य को दे देना चाहिए था।
- उनका तर्क था कि यहूदियों को दुश्मनों के बीच डाल दिया गया, जिससे वे कभी भी चैन से नहीं रह पाएंगे।
मध्य पूर्व में इजराइल की चुनौती
- इजराइल एक छोटा देश है, जो चारों तरफ से मुस्लिम देशों से घिरा है।
- ईरान जैसे देश अब खुलकर इजराइल के खिलाफ मिसाइलें तैनात कर रहे हैं।
- ओशो की बातों को देखें तो यह संघर्ष कभी न कभी एक बड़े संकट का रूप ले सकता है।
क्या इतिहास खुद को दोहरा रहा है?
- ओशो की भविष्यवाणी को आज की घटनाओं से जोड़कर देखा जाए, तो कई बातें सटीक बैठती हैं।
- अमेरिका अब भी इजराइल का सबसे बड़ा सहयोगी है, लेकिन कब तक?
- अरब देशों और फिलिस्तीन का मुद्दा अब भी जस का तस बना हुआ है।
निष्कर्ष: इजराइल का भविष्य क्या होगा?
इजराइल का अस्तित्व हमेशा से विवादों, संघर्ष और कूटनीतिक खेल का हिस्सा रहा है। ओशो की भविष्यवाणियां आज भी प्रासंगिक हैं। सवाल यही है कि:
- क्या इजराइल स्थायी शांति पा सकेगा?
- या ओशो की चेतावनी के अनुसार, एक दिन अमेरिका की मदद खत्म होते ही इजराइल संकट में डूब जाएगा?
इतिहास की इस उलझन में जवाब भविष्य ही देगा। लेकिन यह साफ है कि इजराइल, फिलिस्तीन और मध्य पूर्व का मुद्दा केवल भू-राजनीतिक नहीं, बल्कि सभ्यताओं की जटिल विरासत से भी जुड़ा है।
Also Read: इजरायल-ईरान युद्ध में चमका B-2 बमबर, डिज़ाइनर भारतीय, मगर आज जेल में
Also Read: दुनिया को धोखा? चीन की विकास कहानी के पीछे छिपी बेरोज़गारी और कर्ज़ की सच्चाई