by: vijay nandan
ऑपरेशन सिंदूर” सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंक के खिलाफ भारत का कड़ा और स्पष्ट संदेश बन चुका है। इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान न केवल राजनीतिक दबाव में है, बल्कि उसके पाले-पोसे आतंकी संगठन भी अब छिपने की कोशिश में हैं। सबसे बड़ा संकेत है – लश्कर-ए-तैयबा का अपने मुख्यालय को मुरीदके से बहावलपुर शिफ्ट करने की तैयारी।
ऑपरेशन सिंदूर: क्या हुआ इस टॉप सीक्रेट मिशन में?
“ऑपरेशन सिंदूर” भारतीय सेना का वह सर्जिकल स्ट्राइक था, जिसे रात के अंधेरे में अंजाम दिया गया और सुबह होते-होते दुनिया को पता चल गया कि भारत अब सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि एक्शन में जवाब देता है।

ऑपरेशन सिंदूर ने पाक को भारी नुकसान पहुंचाया
- 9 से अधिक आतंकी लॉन्च पैड्स तबाह किए गए।
- 11 पाकिस्तानी एयरफोर्स बेस को भारी नुकसान पहुंचाया था, जिनमें सियालकोट, मियांवाली और रावलपिंडी शामिल हैं।
- भारतीय एयरस्ट्राइक और स्पेशल फोर्सेज ने आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर को टारगेट कर पूरी प्लानिंग से बर्बाद किया।

पाकिस्तान की हालत: डर के मारे बदल रहा है आतंकी ठिकानों का नक्शा
इस ऑपरेशन के तुरंत बाद पाकिस्तान के आतंकी संगठन पूरी तरह दहशत में आ गए हैं। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक:
- लश्कर-ए-तैयबा ने अपने हेडक्वार्टर को मुरीदके (लाहौर के पास) से बहावलपुर (पंजाब प्रांत में) शिफ्ट करने की योजना बनाई है।
- जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी गुटों ने कई ट्रेनिंग कैंप अस्थायी रूप से बंद कर दिए हैं।
- कई टॉप आतंकी कमांडर अंडरग्राउंड हो गए हैं और अब मोबाइल नेटवर्क से भी दूरी बना रहे हैं।
पाकिस्तानी सेना की छवि को भी बड़ा झटका
ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल आतंकी ढांचे को नुकसान पहुंचाया, बल्कि पाकिस्तानी सेना की रणनीतिक तैयारियों की पोल भी खोल दी। रडार नेटवर्क फेल होना, एयरबेस की सुरक्षा में चूक और आतंकी संगठनों से नजदीकी—ये सब अब वैश्विक चर्चा का विषय बन चुके हैं।
क्या कहती है ग्लोबल इंटेलिजेंस?
- ISI की कमजोर सूचनात्मक तैयारी सामने आई।
- UN और FATF की नजर अब एक बार फिर पाकिस्तान की जमीन से हो रहे आतंकी प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक्स पर है।
- अमेरिका, फ्रांस और इजराइल जैसे देश भारत की कार्रवाई को ‘स्ट्रैटेजिकली जस्टिफाइड’ मान रहे हैं।
क्या यह भारत की नई रणनीति की शुरुआत है?
“ऑपरेशन सिंदूर” के ज़रिए भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि अब वह सिर्फ कूटनीतिक विरोध तक सीमित नहीं रहेगा। जरूरत पड़ी तो सैन्य कार्रवाई होगी—सटीक, तीव्र और निर्णायक।
अब सवाल यह नहीं कि भारत क्या करेगा, बल्कि यह है कि पाकिस्तान कब तक इस डर में जीता रहेगा?