सुप्रीम कोर्ट ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ से संबंधित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिका में दावा किया गया था कि इस हादसे में 200 से अधिक लोगों की जान गई, जबकि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 18 लोगों की मौत हुई थी और कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने उठाया सवाल
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और पी.के. मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा, “क्या 200 लोगों की मौत होने का कोई सबूत है?” याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के वीडियो सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं और रेलवे ने प्रत्यक्षदर्शियों को नोटिस भी जारी किया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि जो लोग प्रभावित हुए हैं, वे खुद न्यायालय का रुख कर सकते हैं।
याचिका राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत दायर
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि यह याचिका राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (National Disaster Management Act) के उचित क्रियान्वयन और भीड़ नियंत्रण के नियमों को लागू करने की मांग को लेकर दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को दिल्ली हाई कोर्ट जाने की सलाह दी।
हाई कोर्ट में पहले से चल रही है सुनवाई
दिल्ली हाई कोर्ट ने इससे पहले 19 फरवरी को रेलवे को यह निर्देश दिया था कि यात्रियों की अधिकतम संख्या और प्लेटफॉर्म टिकटों की बिक्री पर ध्यान दिया जाए। यह निर्देश नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया था।
क्या था मामला?
- 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई थी, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए थे।
- हादसा तब हुआ जब प्रयागराज महाकुंभ जाने के लिए भारी संख्या में यात्री स्पेशल ट्रेन पकड़ने पहुंचे।
- स्टेशन पर अचानक यात्रियों की संख्या बढ़ने से अव्यवस्था फैल गई, जिसके कारण भगदड़ मच गई।
कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस मामले में पहले से ही उचित प्राधिकरण कार्यवाही कर रहे हैं और प्रभावित लोग हाई कोर्ट में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
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